पटना: मुजफ्फरपुर के चर्चित बालिकागृह कांड के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर को विशेष अनुसूचित जाति जनजाति कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है। ब्रजेश ठाकुर के अलावा कोर्ट ने शाइस्ता परवीन उर्फ मधु और कृष्णा को बरी कर दिया है।
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स्वधार गृह में 11 महिलाएं और चार बच्चों को गायब करने का आरोप ब्रजेश ठाकुर पर लगा था। न्यायाधीश अजय कुमार मल्ल की कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर समेत तीन को गुरूवार को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।
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कल्याण विभाग ने ब्रजेश ठाकुर की एनजीओ सेवा संकल्प एवं विकास समिति को बालिका गृह के अलावा स्वाधार गृह को भी संचालित करने के लिए दिया था। वर्ष 2018 में जब बालिका गृह कांड का खुलासा हुआ तो मुख्यालय के निर्देश पर जिला प्रशासन ने स्वाधार गृह का भी सत्यापन कराया। स्वाधार गृह में टीम जब सत्यापन के लिए पहुंची तो उसमें रह रहीं 11 लावारिस महिलाएं और उनके चार बच्चे का कहीं कोई अतापता नहीं चला। गृह में ताले लटके हुए थे। तत्कालीन सहायक निदेशक दिवेश शर्मा ने सभी महिलाएं और उनके बच्चों को गायब करने के आरोप में महिला थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी। इसमें सेवा संकल्प एवं विकास समिति के अधिकारियों को आरोपित बनाया था। पुलिस की जांच में इसमें ब्रजेश ठाकुर, साइस्ता परवीन समेत चार लोगों की संलिप्तता पाई गई थी।
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इस फैसले ने न केवल आरोपी पक्ष को राहत दी, बल्कि इस मामले की जांच को लेकर कई सवाल भी खड़े किए हैं। विशेष कोर्ट के फैसले के बाद आरोपियों को तिहाड़ जेल वापस भेज दिया गया।अब इस मामले में पुलिस द्वारा की गई जांच और आरोपों की स्थिति पर पुनः विचार किया जाएगा।