रांचीः झारखंड सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण और जल संसाधन मंत्री पिछले कई दिनों से विवाद में है। ताजा विवाद उनके डॉक्टरेट की डिग्री को लेकर उठा है। बीजेपी ने उनके डॉक्टरेट की डिग्री पर सवाल उठाते हुए उसे फर्जी बताया। डिग्री को लेकर बीजेपी के लगातार हमले के बाद मंत्री हफीजुल हसन ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स से डॉक्टरेट की डिग्री लेने वाली तस्वीर 26 अप्रैल को पोस्ट की थी उसे डिलीट कर दिया। इस तस्वीर को डिलीट करने के पीछे मंत्री का मकसद इस विवाद को खत्म करना और सोशल मीडिया पर उन्हे जो डिग्री को लेकर ट्रोल किया जा रहा है उसे समाप्त करना है। लेकिन मंत्री ने अपने एक्स अकाउंट ये 26 अप्रैल की उस पोस्ट को तो डिलीट कर दिया लेकिन फेसबुक पोस्ट से उसे डिलीट करना भूल गये।
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दरअसल, बीजेपी ने मंत्री के डॉक्टरेट की डिग्री पर सबसे पहले सवाल उठाया था। प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता अजय साह ने सोमवार को प्रेस कांफ्रेंस कर दावा किया कि मंत्री हफीजुल की डिग्री फर्जी है। उन्होने कहा कि मंत्री ने जो डॉक्टरेट की उपाधि ली है वो एक फर्जी यूनिवर्सिटी है। जिसे उन्होने भारत वर्जुअल ओपन एजुकेशनल यूनिवर्सिटी बताया है। जिसे न तो विश्वविद्यालय शब्द का प्रयोग करने का अधिकार है और न ही किसी प्रकार की शैक्षणिक उपाधि प्रदान करने की मान्यता है।
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अजय साह ने आगे कहा कि इस फर्जी यूनिवर्सिटी को न तो यूजीसी, न तो भारत सरकार और न ही झारखंड सरकार से कोई मान्यता प्राप्त है। मंत्री ने भारतीय संविधान के तहत संचालित मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों से डिग्री न प्राप्त करने के बाद शरीयत कानून का अनुसरण करते हुए एक फर्जी विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि हासिल कर ली, जो शुद्ध रूप से एक कागजी संस्था है। उन्होने आरोप लगाया कि यह संस्था मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों द्वारा संचालित की जाती है, इसका कोई वैद्यानिक अस्तित्व नहीं है। साह का दावा किया है कि यह फर्जी विश्वविद्यालय सेंट्रल क्रिश्चिन यूनिवर्सिटी , अफ्रीका से अपनी संबंद्धता बताता है, जबकि पता चला है कि इसके चांसलर डॉक्टर उस्मान को इस्लामाबाद की एक संस्था द्वारा प्रोफेसर की उपाधि प्रदान की गयी थीं। ऐसे में मंत्री के डिग्री का पूरा नेटवर्क पाकिस्तान से जुड़ा हुआ है।