दिल्ली: नीति आयोग की बैठक में शामिल हुई पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नाराज होकर निकल गई। ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि उन्हे बैठक में बोलने का मौका नहीं मिला, सिर्फ 5 मिनट उन्हे स्टॉप कर दिया गया जबकि मुझसे पहले अन्य लोगों ने 20 मिनट तक बात की। उन्होने कहा कि मैने अपना विरोध दर्ज कराया और मीटिंग से बाहर आ गई।
ममता क्यों निकलीं मीटिंग से बाहर?
शाम में जब NITI आयोग की प्रेस कॉन्फ़्रेंस हुई तो CEO वी आर सुब्रमण्यम ने बताया कि 7 मिनट का वक्त हर मुख्यमंत्री को दिया गया था और ममता बनर्जी ने बोलना शुरू किया और जब टाइम खत्म हो गया तो राजनाथ सिंह ने मेज़ पर ठक-ठक किया तो ममता बनर्जी ने बोलना बंद कर दिया और बाहर चलीं गईं। बंगाल के मुख्य सचिव मीटिंग में मौजूद रहे।
ममता ने बताई यह वजह
नीति आयोग की बैठक पर पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा, “…तीन साल से हमारा 100 दिन का काम(मनरेगा) बंद करके रखा, आवास योजना बंद करके रखा। ऐसे कोई सरकार नहीं चलती। आप अपनी पार्टी और दूसरी पार्टी में भेदभाव नहीं कर सकते, आप केंद्र में सत्ता में हैं। आपको सभी का ध्यान रखना होगा… मैं बोलना चाहती थी लेकिन मुझे सिर्फ 5 मिनट ही बोलने की इजाजत मिली। मुझसे पहले जिन लोगों ने बोला वह 10-20 मिनट तक बोले। विपक्ष की तरफ से मैं अकेली इस बैठक में हिस्सा ली। लेकिन फिर भी मुझे बोलने की अनुमति नहीं दी गई। यह अपमानजनक है…”
10 मुख्यमंत्री रहे मीटिंग से बाहर
विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों ने नीति आयोग की बैठक का बायकॉट किया है लेकिन ममता बनर्जी इस बैठक में पहुंची। ममता बनर्जी ने कहा कि ‘मैंने कहा योजना आयोग को वापस ले आइए, मैंने कहा बंगाल को फंड दीजिए और आप भेदभाव मत कीजिए. मैंने बोला जब केंद्र सरकार चलाते हैं तो सारे राज्यों का सोचना चाहिए. मैं सेंट्रल फंड के बारे में बता रहा थी कि इसे पश्चिम बंगाल को नहीं दिया जा रहा है, तभी उन्होंने मेरा माइक म्यूट कर दिया. मैं विपक्षी राज्यों से एकमात्र मुख्यमंत्री था, उन्हें मुझे बोलने की अनुमति देनी चाहिए थी. ये तो मेरा अपमान है.’