रांची: ग्रामीण विकास विभाग के पूर्व सचिव और आईएएस अधिकारी मनीष रंजन मंगलवार को फिर ईडी ऑफिस पहुंचे। प्रवर्तन निदेशाल के दफ्तर मनीष रंजन हाथ में फाइल लेकर पहुंचे जिसमें विभाग से जुड़े और उनके आय से जुड़ी हुई जानकारी थी। इससे पहले 28 मई को भी मनीष रंजन से ईडी ऑफिस में आठ घंटे तक पूछताछ हुई थी।
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6 मई को ईडी की टीम ने मंत्री आलमगीर आलम के ओएसडी संजीव लाल और उसके सहयोगी जहांगीर आलम के घर छापेमारी की थी। ईडी की टीम ने ग्रामीण विकास विभाग के पूर्व चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम से मिली जानकारी और टेंडर में कमीशन के मामले को लेकर इस मामले में दो दिनों तक छापेमारी कर 37 करोड़ रूपये कैश बरामद किये थे। इस दौरान नोटों की गड्डियों के बीच पर्ची में पैसे देने वाले और कमीशन के प्रतिशत भी लिखा हुआ ईडी की टीम को मिला। इसके साथ ही टेंडर के कमीशन और विभाग में जारी भ्रष्टाचार को लेकर कई तरह की दस्तावेज ईडी की टीम को मिले थे। इसके बाद ईडी की टीम ने मंत्री के ओएसडी और उसके सहायक को गिरफ्तार कर लिया था।
संजीव लाल और जहांगीर आलम से पूछताछ और मिले दस्तावेजों के आधार पर ईडी ने मंत्री आलमगीर आलम को 14 मई को पूछताछ के लिए बुलाया, फिर 15 मई को पूछताछ के बाद मंत्री को ईडी की टीम ने गिरफ्तार कर लिया। ईडी का दावा है कि टेंडर में कमीशन को लेकर मंत्री को डेढ़ प्रतिशत कमीशन मिलता था। मंत्री की गिरफ्तारी के बाद मिले साक्ष्य और पूछताछ के आधार पर विभाग के सचिव रहे मनीष रंजन को ईडी ने समन जारी किया था।
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