दिल्लीः रामलीला मैदान लोकतंत्र बचाओ रैली में विपक्षी एकता तो नजर आई और मोदी के लिए चुनौती भी दिखी मगर बड़ा सवाल यह है कि बीजेपी की विजयी रथ को रोकने में क्या विपक्षी एकता कारगर साबित होगी । सवाल इसलिए क्योंकि सीटों के बंटवारे को लेकर जिस तरह से‘INDIA’ अलायंस में राजनीतिक अदूरदर्शिता नजर आई उससे मिलकर लड़ने और मिलकर जीतने में फर्क नजर आता दिख रहा है । मिसाल के तौर पर देखें तो बिहार में भले ही कांग्रेस को नौ सीटें मिल गई हों लेकिन आरजेडी ने वही सीटें दी हैं जहां खुद भी कमजोर है और कांग्रेस भी । महाराष्ट्र में भी स्थिति बहुत अच्छी नहीं है प्रकाश अंबेडकर बीच रास्ते में ही अलविदा कह चुके हैं । ममता बनर्जी ने तो एकला चलो की रणनीति अपना कर सबसे पहले कांग्रेस औऱ गठबंधन को नुकसान पहुंचा दिया ।
बहरहाल 40 दलों वाले इस Indian National Developmental Inclusive Alliance यानि‘ INDIA’ की राजनीतिक हैसियत देश की संसद में यही है कि लोकसभा में कुल 117 सांसद हैं । राज्यसभा में 90 सांसद । वोट प्रतिशत के हिसाब से भी इंडिया गठबंधन और बीजेपी के बीच जो फर्क है वो लगभाग छह फीसदी का है । बीजेपी को 2019 के आम चुनावों में लगभग ३६ फीसदी वोट मिले थे तो कांग्रेस समेत तमाम सहयोगियों का मिलाकर वोट फीसदी तीस प्रतिशत के आस पास पहुंच पाता है ।
लिहाजा दिल्ली की इस रैली से नेताओं और कार्यकर्ताओं मे जोश तो जरुर पैदा हुआ होगा मगर समर्थकों और वोटर्स ईवीएम में कितनी संख्या में वोट डालते हैं इसकी चुनौती इस गठबंधन के सामने हैं।
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