रांची: हेमंत सोरेन को बेल नहीं मिलने पर जेएमएम कार्यकर्ताओं में मायूसी है । समर्थकों को लग रहा था जैसे केजरीवाल को अंतरिम ज़मानत मिल गई है वैसे ही हेमंत सोरेन को मिल सकती है लेकिन ऐसा हुआ नहीं । सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री की याचिका ही ख़ारिज कर दी जिसमें उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी गई थी । देश के नामी वकील कपिल सिब्बल हेमंत सोरेन की सुप्रीम कोर्ट में पैरवी कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कहा है कि दाग से इनकार नहीं किया जा सकता है ।
हेमंत सोरेन को इन वजहों से नहीं मिली ?
- हेमंत सोरेन ने SC/ST एक्ट का दुरूपयोग करते हुए ईडी के अधिकारियों पर मुकदमे किए
- हेमंत सोरेन ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत कार्रवाई करने में बाधा पहुँचाई
- राज्य की मशीनरी का इस्तेमाल कर खुद को बेदाग साबित करने की कोशिश की
- हेमंत सोरेन पर जिन ज़मीन की ख़रीद-बिक्री का आरोप है उसकी जांच प्रभावित की
- हेमंत सोरेन गवाहों को डरा-धमका सकते हैं, जाँच को प्रभावित कर सकते हैं
- चुनाव के बहाने ज़मानत देने का मतलब होगा किसी भी नेता को चुनाव के समय गिरफ्तार नहीं किया जा सके
- हेमंत सोरेन निचली अदालत द्वारा संज्ञान लिए जाने की बात छिपाई
Hemant Soren के खिलाफ कौन सी बातें गईं ?
सर्वोच्च अदालत में हेमंत सोरेन की याचिका पर सुनवाई करते हुए अवकाश बेंच में कपिल सिब्बल ने जजों को बहुत समझाने की कोशिश की कि हेमंत सोरेन बेगुनाह उनके खिलाफ सबूत नहीं है । कम से कम दो जून तक ज़मानत मिल जानी चाहिए । लेकिन ईडी की ओर से दी गई दलील हेमंत की याचिका पर भारी पड़ी । 21 मई को सुनवाई से एक दिन पहले अदालत में हलफनामा दाखिल करते हुए, एजेंसी ने जोर देकर कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के नेता अवैध तरीके से संपत्ति अधिग्रहण और अपराध से अर्जित संपत्तियों के कब्जे में शामिल हैं और उनका आचरण उन्हें किसी भी राहत का हकदार नहीं बनाता है।
Hemant Soren ने सीएम रहते कहां की गलती ?
इतना ही नहीं ईडी ने कहा कि याचिकाकर्ता हेमंत सोरेन द्वारा राज्य मशीनरी का दुरुपयोग करके जांच को बाधित करने और अपने सहयोगियों के माध्यम से अपराध से अर्जित संपत्तियों को स्वच्छ दिखाने का सक्रिय प्रयास किया जा रहा है सोरेन ने मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध किया है और अपराध से संबंधित गतिविधियों में शामिल हैं, इसलिए कोई अंतरिम जमानत नहीं दी जानी चाहिए।
ED अधिकारियों के खिलाफ एससी/एसटी केस महँगा पड़ा
प्रवर्तन निदेशालय ने कहा कि हेमंत सोरेन किसी भी अंतरिम जमानत के हकदार नहीं हैं क्योंकि उन्होंने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत ईडी के जांच अधिकारियों पर झूठे मामले थोपे हैं ताकि पीएमएलए के तहत अधिकारियों को उनके कर्तव्यों का निर्वहन करने से रोका जा सके।
हेमन्त हमारी हिम्मत है
हेमन्त हमारी ताकत है
हेमन्त हमारा साहस है
हेमन्त हमारा स्वाभिमान है
झारखण्ड झुकेगा नहीं!
INDIA रुकेगा नहीं!
जय झारखण्ड!
जय जय झारखण्ड!
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— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) May 22, 2024
Kejriwal की तरह हेमंत को अंतरिम ज़मानत नहीं
ईडी का यह हलफनामा मंगलवार को जस्टिस दिपांकर दत्ता की अध्यक्षता वाली अवकाश पीठ द्वारा सुनवाई से पहले दायर किया गया था। सोरेन की याचिका में जनवरी में ईडी द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी गई है और चल रहे आम चुनावों के कारण अंतरिम जमानत मांगी गई है। हेमंत सोरेन की याचिका में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तरह ज़मानत पर ज़ोर दिया । मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में केजरीवाल को 10 मई को चुनाव प्रचार के लिए ज़मानत दे दी गई थी ।