रांची : जमीन घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सबूत के तौर पर कई चौकाने वाले सबूत पेश किये है। ईडी के इस सबूत ने इस मामले में नया मोड़ आ गया है। ईडी ने जमीन घोटाला मामले में सबूत के तौर पर स्मार्ट टीवी और फ्रीज के बिल को भी शामिल किया है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने दो डीलरों से इस बिल को प्राप्त किया है। ईडी ने हेमंत सोरेन के साथ चार अन्य आरोपी के खिलाफ दायर अपने आरोप पत्र के साथ इसे संलग्न किया है। ईडी ने अपने आरोप पत्र में हेमंत सोरेन के अलावा राजकुमार पाहन, हिलारियास कच्छप, भानू प्रताप सिंह और बिनोद सिंह को आरोपी बनाया है।
ईडी ने अपने आरोप पत्र में कहा है कि फरवरी 2017 को टीवी और फ्रीज संतोष मुंडा के परिवार के दो सदस्यों के नाम पर खरीदे गए थे। मुंडा के बेटे के नाम पर फ्रीज खरीदा गया था और स्मार्ट टीवी नवंबर 2022 में मुंडा की बेटी के नाम पर खरीदा गया था।
ईडी ने दावा किया कि पिछले साल अगस्त में इस मामले में सोरेन को पहला समन जारी होने के तुरंत बाद पाहन ने रांची के उपायुक्त को पत्र लिखकर बताया था कि उनके और कुछ अन्य लोगों के पास जमीन है। अन्य मालिकों के नाम पर पहले का परिवर्तन रद्द कर दिया जाए, ताकि उन्हें उनकी संपत्ति से बेदखल होने से बचाया जा सके।
ईडी ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने सोरेन की गिरफ्तारी से दो दिन पहले 29 जनवरी को पाहन को जमीन वापिस दे दी थी, ताकि झामुमो नेता का नियंत्रण और कब्जा निर्बाध बना रहे। जांच एजेंसी के अनुसार यह भूमि मूल रूप से एक भुइंहारी संपत्ति है और इस संपत्ति को सामान्य परिस्थितियों में किसी को हस्तांतरित या बेचा नहीं जा सकता था। ‘मुंडा’ और ‘पाहन’ इस भूमि के मालिक थे।
ईडी ने दावा किया कि अचल संपत्ति बाद में मूल आवंटियों द्वारा कुछ व्यक्तियों को बेच दी गई थी, लेकिन सोरेन ने उन्हें बेदखल कर दिया और 2010-11 में जमीन पर नियंत्रण हासिल कर लिया। संतोष मुंडा ने ईडी को यह भी बताया कि हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना ने दो से तीन बार उक्त जमीन का दौरा भी किया।
ईडी का दावा है कि सोरेन के कहने पर मुंडा को संपत्ति की देखभाल का प्रभार सौंपा गया था, इसके अलावा मामले के एक अन्य आरोपी हिलारियास कच्छप ने वहां बिजली मीटर लगवाया था।ईडी ने यह भी कहा कि संतोष मुंडा और उनका परिवार इस संपत्ति पर रह रहा था और यह आरोपी राजकुमार पाहन के कब्जे में नहीं था। एजेंसी के मुताबिक राजकुमार पाहन हेमंत सोरेन के मुखौटे के रूप में काम कर था ताकि संपत्ति को किसी तरह पाहन और उसके परिवार के सदस्यों के कब्जे में दिखाया जा सके।
सोरेन के खिलाफ सबूतों को खत्म किया जा सके और अपराध की आय को छुपाया जा सके। ईडी ने इन दोनों बिलों को सबूत के तौर पर सूचीबद्ध किया है और इन्हें मुख्य दस्तावेजों के तहत आरोप पत्र के साथ संलग्न किया है।