रांचीः मंत्रिमंडल के गठन के साथ ही हेमंत सोरेन ने सामाजिक न्याय कर दिया । झारखंड के इतिहास में किसी भी सरकार में इतने आदिवासी, दलित और ओबीसी एक साथ कभी नहीं रहे। हेमंत सोरेन ने 24 साल के झारखंड के सियासी इतिहास में वो कमाल कर दिया जिसके बारे में विरोधी सोच भी नहीं सकते । मिसाल देखिए हेमंत सोरेन की कैबिनेट में कितने आदिवासी , दलित और ओबीसी हैं । 28 नवंबर को हेमंत की शपथ के बाद जब ५ दिसंबर को कैबिनेट मंत्रियों ने शपथ ली तो सामाजिक न्याय का गणित इस तरह बैठा
हेमंत सोरेन कैबिनेट का सामाजिक न्याय
आदिवासी मुख्यमंत्री-1
आदिवासी मंत्री 4
ओबीसी -4
सवर्ण-1
दलित– 1
मुस्लिम -2
इसमें दीपिका पांडेय सिंह ओबीसी और सवर्ण कोटे से आते हैं। ऐसा पहली बार है कि झारखंड की सत्ता यहां के मूल निवासियों या फिर सामाजिक न्याय के समीकरण के हिसाब से बनी है ।
रघुवर दास कैबिनेट का समीकरण
इससे पहले जब रघुवर दास की सरकार थी तब
आदिवासी मुख्यमंत्री की जगह ओबीसी सीएम था
आदिवासी मंत्री 2 थे
ओबीसी -3
सवर्ण-4
दलित– 1
मुस्लिम 0
जी हां रघुवर दास के कैबिनेट में चार सवर्ण मंत्री जिसमें सीपी सिंह, सरयू राय, रणधीर सिंह और राज पालिवार शामिल थे राज्य की सत्ता चला रहे थे , लेकिन झारखंड में जब सत्ता परिवर्तन हुआ तो पाँच साल के लिए पहली बार आदिवासी मुख्यमंत्री ने राज किया हांलाकि इस बीच हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी भी हुई चंपाई के हाथ में सत्ता भी लेकिन ईडी का केस झूठा निकलने के बाद हेमंत ने फिर सत्ता संभाली और चुनाव में सामाजिक समीकरण के साथ बीजेपी से जंग लड़ा तो जेएमएम ने अब तक इतिहास रच दिया । चौंतीस सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी और महागठबंधन को प्रचंड बहुमत हासिल हुआ । अब देखिए हेमंत सोरेन ने मंत्रीमंडल के गठन में किस तरह आदिवासी, दलित और ओबीसी का समीकरण बैठाया है जिसके बाद विरोधियों को हमला करने का मौका नहीं मिल रहा । दरअसल पहली बार झारखंड में सवर्ण मंत्रियों की संख्या इतनी कम है जिसकी वजह से सामाजिक न्याय के विरोधियों को मंत्रिमंडल के चेहरे रास नहीं आ रहे हैं।