झारखंड हाईकोर्ट ने एक विधवा का वैध और सरकार की ओर से स्वीकृत तीन साल से बकाया भुगतान नहीं किए जाने पर नाराजगी जतायी है। जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने कहा कि एक तरफ सरकार विधवा के 18 लाख बकाया भुगतान नहीं कर रही है, दूसरी तरफ चुनाव के वादे पूरे करने के लिए लोगों के खाते में राशि भेज रही है।
अदालत ने सरकार को शपथपत्र दाखिल कर चुनाव में मंईयां योजना और अन्य वादे पूरे करने के लिए खातों में सीधे भेजी जाने वाली नकद राशि का ब्योरा मांगा है। सरकार को कितने लोगों को राशि दी जा रही है, इसकी जानकारी देने को कहा है। राशि कब-कब खाते में जमा की गयी है, इसकी भी जानकारी मांगी है। कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को खुद शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है।
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इस संबंध में रतन देवी ने याचिका दायर की है। उन्होंने कहा है कि उनके पति चतरा जिला लाइब्रेरी में कार्यरत थे। उनका वर्ष 1999 से 2022 तक के बकाए का भुगतान नहीं किया गया है। प्रार्थी के वकील ने कहा कि सरकार स्वीकृत बकाया नहीं दे रही है, लेकिन चुनावी वादे पूरे करने के लिए मुफ्त रेवड़ियां बांट रही है।
इस मामले में चतरा के डीईओ ने 19.07.2024 को ही शपथपत्र दाखिल कर कहा है कि भुगतान के लिए राशि मांगी गयी है। राशि मिलते ही भुगतान कर दिया जाएगा। प्रार्थी ने कहा कि सरकार ध्यान नहीं दे रही है, जबकि चुनावी वादों को पूरा करने के लिए लाभार्थियों के खाते में मुफ्त राशि दे रही है।
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