रांचीः मंगलवार को हाईकोर्ट ने अपने ही परिवार के 6 सदस्यों की निर्मम हत्या करने के सजायाफ्ता गागो दास की अपील और राज्य सरकार की ओर से फांसी की सजा को कंफर्म करने के लिए दायर अपील याचिकाओं पर फैसला सुनाया। जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय और जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए निचली अदालत के फांसी की सजा को सही ठहराते हुए बरकरार रखा। इसके साथ ही राज्य सरकार की अपील याचिका को स्वीकार करते हुए फांसी की सजा को कंफर्म किया। खंडपीठ ने अपीलकर्ता गागो दास की अपील याचिका खारिज कर दी। 28 नवंबर 2024 को मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
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हाई कोर्ट ने इसे जघन्य और घृणित कार्य माना और सहानुभूति का हकदार नहीं माना। कोडरमा की निचली अदालत ने अक्टूबर 2024 में गांगो को फांसी की सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ गांगो ने हाई कोर्ट में अपील दाखिल की थी। पूर्व में सुनवाई पूरी करने के बाद हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
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घटना 26 नवंबर 2019 को हुई थी। उस समय नवलशाही थाना में पड़ोसी मदन दास के आवेदन पर केस दर्ज किया गया था। मदन दास ने दर्ज केस में बताया था कि 26 नवंबर 2019 की रात्रि वह खाना खाकर सो गया था। रात्रि करीब 9:45 बजे उसका पड़ोसी गांगो दास शराब के नशे में हाथ में बड़ा सा चाकू और राड लेकर आया था और वह पत्नी शीला देवी से झगड़ा करने लगा था।इसी बीच गुस्से में आकर उसने अपनी पत्नी को चाकू और राड से मार दिया। उसने अपनी चार वर्षीय पुत्री राधिका कुमारी, दो वर्ष के पुत्र पीयूष कुमार को भी चाकू और राड से मारा था। इससे घटनास्थल पर ही राधिका कुमारी एवं पीयूष कुमार की मौत हो गई थी।शोरगुल सुनकर जब गांगो की मां शांति देवी बचाने आई तो उसे भी रॉड व चाकू से मार कर गंभीर रूप से घायल कर दिया।