डेस्कः कांग्रेस पार्टी की सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा के पति के खिलाफ ईडी ने शिकंजा कस दिया है। प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ चार्जशीट दायर कर दी है। ईडी का दावा है कि रॉबर्ट वाड्रा ने दो कंपनियों के जरिए 58 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की है। इसका इस्तेमाल संपत्ति खरीदने से लेकर कारोबारी कर्ज चुकाने के लिए किया गया।
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ईडी की चार्जशीट के अनुसार, रॉबर्ट वाड्रा को दो कंपनियों से 58 करोड़ रुपये की अवैध कमाई (Proceeds of Crime) मिली, जो कथित आपराधिक गतिविधियों से जुड़ी थी। उन्होंने इस रकम का इस्तेमाल कथित तौर पर अचल संपत्तियां खरीदने, निवेश करने, फंड और लोन देने, और अपनी विभिन्न ग्रुप कंपनियों की देनदारियां चुकाने में किया।
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ईडी की चार्जशीट में कहा गया है कि जांच के दौरान कथित आपराधिक गतिविधियों से हुई कमाई (Proceeds of Crime) का सटीक आंकलन किया गया। रॉबर्ट वाड्रा के पास कुल 58 करोड़ रुपये की ऐसी रकम आने का खुलासा हुआ, जो दो रास्तों से आई। इनमें 5 करोड़ रुपये ब्लू ब्रीज ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड (BBTPL) के जरिए और 53 करोड़ रुपये स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड (SLHPL) के जरिए ट्रांसफर हुए।
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वाड्रा ने इन पैसों को ऐसे किया इस्तेमाल
ईडी सूत्रों का दावा है कि वाड्रा ने अपनी कंपनियों — स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्रा लि और BBTPL — के जरिए गलत तरीके से करीब 58 करोड़ रुपये कमाए। यह पैसा उन्होंने अपनी आलीशान जिंदगी और अपने या अपनी कंपनियों के नाम पर जमीन-जायदाद खरीदने में लगाया।
संघीय एजेंसी की से कहा गया है कि अपराध से प्राप्त धन का इस्तेमाल रॉबर्ट वाड्रा ने कथित तौर पर अचल संपत्तियां हासिल करने में किया।उन्होंने से निवेश करने, अग्रिम धनराशि और ऋण देने के लिए किया।इसके साथ ही उन्होंने इस आय को इस्तेमाल विभिन्न समूह कंपनियों की देनदारियों का निपटान करने के लिए किया।
ईडी ने बताया कि उसकी जांच के परिणामस्वरूप 43 अचल संपत्तियों की अस्थायी कुर्की हुई, जिनकी कुल कीमत 38.69 करोड़ रुपये है, जिन्हें प्रत्यक्ष या अपराध की आय के बराबर मूल्य के रूप में पहचाना गया है।
जब्त की गई संपत्तियां
ईडी ने 38.69 करोड़ रुरए मूल्य की 43 अचल संपत्तियां अस्थायी रूप से जब्त की हैं, जिनमें बीकानेर, गुरुग्राम, मोहाली, अहमदाबाद, नोएडा और फरीदाबाद की जमीन, फ्लैट और वाणिज्यिक यूनिट्स शामिल हैं। ईडी ने PMLA की कई धाराओं के साथ आईपीसी की धारा 423 भी जोड़ी है। आरोप साबित होने पर 3 से 7 साल की सज़ा और अवैध संपत्ति जब्त की जा सकती है।







