रांची : आईएएस अधिकारी और देवघर के पूर्व उपायुक्त मंजूनाथ भयंत्री की याचिका पर सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट मेंं सुनवाई हुई। कोर्ट ने उनकी याचिका को सुनवाई योग्य नहीं कहा है और दूसरी बेंच को भेज दिया है।
चुनाव आयोग के आदेश के खिलाफ मंजूनाथ भजंत्री ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। मामला 2021 का है जब चुनाव आयोग ने भजंत्री को पद से हटाने और चुनाव कार्य में नहीं लगाने का आदेश दिया था। इस मामले पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि मामला सिविल रिट का है इसलिए इसे सक्षम बेंच को भेजा गया है।
अदालत ने कहा कि इस मामले की सुनवाई केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) में नहीं, बल्कि हाई कोर्ट में होनी चाहिए। लेकिन, याचिका दाखिल करने में कुछ तकनीकी त्रुटि हुई है। यह सर्विस मैटर नहीं है, क्योंकि सर्विस मैटर में कर्मचारी और नियोक्ता के बीच का विवाद होता है। यह मामला सिविल रिट का है। इसके बाद अदालत ने मामले को सक्षम बेंच में स्थानांतरित कर दिया। सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने मामले की सुनवाई कैट में करने का आग्रह किया।
राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि प्रार्थी के पास इस मामले को हाई कोर्ट के अलावा कैट में भी ले जाने का विकल्प है। जबकि, प्रार्थी मंजूनाथ भजंत्री की ओर से कहा गया कि उनके खिलाफ कोई कार्यवाही कभी शुरू ही नहीं हुई है, इसलिए इस मामले को कैट में ले जाना उचित नहीं है।
प्रार्थी की ओर याचिका की तकनीकी गड़बड़ी बदलने के लिए कोर्ट के समक्ष आवेदन दिया गया था। चुनाव आयोग की ओर से बताया गया कि मंजूनाथ ने मधुपुर उपचुनाव के दौरान दुर्भावना व राजनीति से प्रेरित होकर सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ पांच प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इन पर विभागीय कार्रवाई की जाए और आने वाले चुनाव में इन्हें चुनाव ड्यूटी से मुक्त रखा जाए।
देवघर के पूर्व उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री ने याचिका दाखिल कर कहा है कि चुनाव आयोग ने उन पर विभागीय कार्यवाही चलाने का आदेश दिया है और आने वाले किसी भी चुनाव से उन्हें अलग रखने को कहा है।
चुनाव आयोग को राज्य सरकार के अधिकारी के खिलाफ इस तरह के आदेश देने का कोई अधिकार नहीं है। बता दें कि चुनाव आयोग ने छह दिसंबर 2021 को झारखंड के मुख्य सचिव को एक पत्र लिखा था, जिसमें मंजूनाथ भजंत्री को पद से हटाने एवं उन्हें चुनावी कार्य में नहीं लगाने का आदेश दिया था।