दिल्ली: लोहरदगा संसदीय क्षेत्र से सांसद सुखदेव भगत ने बजट सत्र के पहले दिन सरना धर्म कोड को लेकर आवाज उठाई। संसद में उन्होने सरना धर्म कोड के लिए अलग से कॉलम जातिगत जनगणना में देने की मांग की।
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सरना धर्म कोड को लेकर सुखदेव भगत लगातार मुद्दा उठाते रहे है। संसद में शपथ ग्रहण करने के बाद भी सुखदेव भगत ने सरना धर्म कोड की मांग उठाई थी। सोमवार को संसद में उन्होने सरना धर्म कोड लागू करने के पोस्टर को हाथ में लेकर प्रदर्शन किया। उन्होने कहा कि आदिवासी प्रकृति के पुजारी है। इनकी आस्था परम्परा और संस्कृति की रक्षा के लिए “सरना धर्म” जनगणना में शामिल करो। जंगल में बाघ / शेर की गणना हो सकती है तो आदिवासियो की धार्मिक पहचान क्यो नही?
झारखंड में लगभग 70 लाख सरना धर्म के मानने वाले लोग हैं। आदिवासी प्रकृति के पुजारी हैं। आदिवासियों की प्राकृतिक आस्था, पूजा पद्धति, विशिष्ट रीति रिवाज का संरक्षण और संस्कृति के रक्षा हेतु केंद्र सरकार अविलंब सरना धर्मकोड़ को जनगणना कॉलम में शामिल करें। भगत ने कहा कि जंगल में बाघ/ शेर की गणना हो सकती है तो आदिवासियों की धार्मिक पहचान के लिए जनगणना कॉलम में सरना धर्म कोड़ क्यों नहीं लागू करना चाहती है केंद्र सरकार। यह आदिवासियों की अस्मिता की लड़ाई है। जब तक केंद्र सरकार जनगणना कॉलम में सरना धर्म कोड़ लागू नहीं करती है तब तक यह लड़ाई जारी रहेगा।