रांचीः झारखंड में कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव को लेकर नाराजगी बढ़ती जा रही है। प्रदीप यादव को लेकर शिकायत कांग्रेस आलाकमान तक पहुंच गई है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी प्रदीप यादव से बहुत खफा बताए जा रहे है। प्रदीप यादव को लेकर हो रहे विवाद का असर गठबंधन पर पड़ सकता है, इसकी संभावनाएं जताई जा रही है।
कांग्रेस के मंत्रियों और विधायकों को मिली अंतिम चेतावनी, अंदरूनी तकरार से पार्टी आलाकमान नाराज, जल्द हो सकते है बड़े बदलाव
झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में दूसरी बार सरकार बनने के बाद कांग्रेस के कुछ विधायक और मंत्रियों के रवैये को लेकर खूब नाराजगी देखी जा रही है। एक तरफ राज्य के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी को लेकर कांग्रेस विधायक दल की बैठक में हुआ विवाद शांत नहीं हुआ था दूसरी तरफ प्रदीप यादव को लेकर असंतोष बढ़ता जा रहा है। नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी के साथ उनके वायरल वीडियो ने तो आग में घी डालने का काम कर दिया है।
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प्रदीप यादव कांग्रेस विधायक दल के नेता है लेकिन सरकार के पहले बजट सत्र के दौरान उन्होंने कई बार अपनी ही सरकार को ऐसे घेरा जो कि गठबंधन के नेताओं के लिए असहज स्थिति पैदा करती रही। सदन के अंदर मंत्री इरफान अंसारी के साथ उनकी तीखी नोंकझोंक हुई। प्रदीप यादव को सबक सिखाने का टास्ट आरजेडी कोटे से मंत्री संजय यादव को दी गई जो उसी गोड्डा जिले से विधायक है जहां कि पोरैयाहाट सीट से प्रदीप यादव विधायक है। बजट सत्र के अंतिम पड़ाव पर संजय यादव ने बिना नाम लिये प्रदीप यादव की गठबंधन को लेकर निष्ठा पर ही सवाल खड़ा कर दिया।
ममता देवी-इरफान अंसारी के बीच नोंक-झोंक और 5 लाख कमीशन देकर भी काम नहीं कराने का मामला विधानसभा में उठा, बाबूलाल मरांडी ने की जांच कराने की मांग
मानसून सत्र में तो प्रदीप यादव खामोश रहे लेकिन शीतकालीन सत्र में प्रदीप यादव एक बार फिर उसी रूप में नजर आये और विधानसभा के अंदर स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी से वो बुरी तरह उलझ गए। विधानसभा अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो ने इस टकरार को रोकने की कई बार कोशिश की। यहीं नहीं कांग्रेस कोटे से मंत्री बनीं दीपिका पांडे सिंह भी इरफान अंसारी के समर्थन में सदन में प्रदीप यादव से उलझ गई। इस पूरे एपिसोड से कांग्रेस ही नहीं सरकार की भी बहुत किरकिरी हुई। मुख्यमंत्री ने इसके बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष केशव महतो कमलेश को बुलाकर इस पूरे मामले को खत्म करने को कहा। मुख्यमंत्री के दखल के बाद अंतिम दिन दोनों ही नेता टकराव की स्थिति को टालने की कोशिश करते रहे।
जब ये लगने लगा कि मामला शांत हो गया तो फिर एक सीसीटीवी फुटेज सामने आया जिसने सनसनी फैला दी। इस सीसीटीवी फुटेज में प्रदीप यादव नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी के साथ दिखाई दे रहे है और कुछ उनके हाथों में देते हुए नजर आ रहे है। इस वीडियो के बाद प्रदीप यादव ने अपनी ओर से सफाई भी दी लेकिन मीडिया और राजनीतिक गलियारों में एक चर्चा शुरू हो गई जिसमें ये कहा जाने लगा कि कांग्रेस विधायक दल की बैठक में इरफान अंसारी और ममता देवी के बीच हुए विवाद का ऑडियो प्रदीप यादव की ओर से ही लीक किया गया क्योकि विधानसभा सत्र के अंतिम दिन बाबूलाल मरांडी ने सदन के अंदर इस मामले को उठाया और कहा कि उनके पास कांग्रेस विधायक दल में हुई खटपट का ऑडियो है इसकी जांच होनी चाहिए क्योंकि इसमें एक विधायक अपनी ही सरकार के मंत्री पर पैसा देने के बाद भी काम नहीं करने का आरोप लगा रही है। बाबूलाल और प्रदीप यादव की एक साथ मौजूदगी वाले वीडियो को कांग्रेस विधायक दल की बैठक के ऑडियो से जोड़कर देखा जाने लगा। प्रदीप यादव और बाबूलाल मरांडी कभी एक दूसरे के बहुत करीब रहे है। बाबूलाल मरांडी जब झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष थे तो उनकी पार्टी का सारा कामकाज प्रदीप यादव ही देखते थे। बाबूलाल मरांडी के बीजेपी में वापसी के बाद प्रदीप यादव और बंधु तिर्की कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
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15 दिसंबर को दिल्ली में झारखंड कांग्रेस के विधायकों की पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ बैठक हुई। इस बैठक में खासतौर पर इरफान अंसारी से विधायकों की नाराजगी और प्रदीप यादव के रवैये को लेकर चर्चा हुई। दोनों ही नेताओं को पार्टी आलाकमान की ओर से चेतावनी दी गई। कांग्रेस अपनी अंदरूनी कलह को संभालने की कोशिश कर ही रही थी तब तक झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपनी नाराजगी कांग्रेस आलाकमान के सामने दर्ज कर दी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन 15 दिसंबर को राज्यपाल संतोष गंगवार के बेटे और बहू के रिसेप्शन में शामिल होने दिल्ली गए। इसी बीच हेमंत सोरेन ने अपनी कड़ी नाराजगी कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के सामने रख दी। सूत्र बताते है कि हेमंत सोरेन कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी के लीक हुए सीसीटीवी फुटेज देखकर बहुत नाराज है। इरफान अंसारी के बाद प्रदीप यादव को लेकर मिल रही शिकायतों के बाद माना जा रहा है कि झारखंड में कांग्रेस आने वाले समय में कोई बड़ा फैसला ले सकती है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष केशव महतो कमलेश की पार्टी में अनुशासन कायम करने को लेकर सख्त फैसले नहीं लेने और एक सशक्त पार्टी प्रशासक की भूमिका नहीं निभाने के बाद कांग्रेस आलाकमान उनके अध्यक्ष पद को लेकर भी समीक्षा कर रही है।








