रांचीः अमित शाह के झारखंड दौरे से पहले नक्सलियों ने एक बार फिर सरेंडर और शांति वार्ता का एलान किया है । नक्सलियों ने प्रेस नोट जारी किया है। इसमें सीज फायर और शांति वार्ता की अपील की है । नक्सलियों ने सप्ताहभर के अंदर दूसरी बार शांतिवार्ता के लिए सरकार के सामने अपनी बात रखी है। नक्सली लीडर रूपेश ने पर्चा जारी कर कहा कि हम पूर्ण युद्धविराम कर देंगे, लेकिन सरकार साथ दे। सरकार की तरफ से सकारात्मक संकेत मिलते ही पूर्ण युद्धविराम अमल में आएगा।
नक्सली लीडर ने पर्चा जारी कर कहा कि हमारा कोई भी बड़ा लीडर डर की वजह से बस्तर या फिर युद्ध का मैदान छोड़कर पड़ोसी राज्य नहीं भागा है। संगठन के कामों के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य आना-जाना करते हैं। पुलिस के लिए कहा कि जनता और नक्सल कैडर के लोग उनके अपने हैं। उन पर गोली न चलाएं। गौरतबल है कि नक्सलियों की हालत बेहद खराब होती जा रही है । खास तौर से छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ अभियान की वजह से माओवादियों के पांव उखड़ रहे हैं । हाल में कई मुठभेड़ में सैकड़ों नक्सलियों की जान गई है ।
बहुत हर्ष का विषय है कि बीजापुर (छत्तीसगढ़) में 50 नक्सलियों ने हिंसा का रास्ता छोड़कर आत्मसमर्पण किया। हिंसा और हथियार छोड़कर विकास की मुख्यधारा में शामिल होने वालों का मैं स्वागत करता हूँ। मोदी जी की नीति स्पष्ट है कि जो भी नक्सली हथियार छोड़कर विकास का मार्ग अपनाएँगे, उनका…
— Amit Shah (@AmitShah) March 30, 2025
पढ़िए नक्सलियों की पूरी चिट्ठी
शांति वार्ता के लिए हम तैयार हैं!
शांति वार्ता के लिए अनुकूल माहौल बनाना जरूरी है!!**
शांति वार्ता हमारे सेंट्रल / एसजेडसी के चार्टर का विषय है। इन कमेटियों को मीडिया में आने वाले समाचार को देखना और तुरंत अपनी प्रतिक्रिया देने में कई तकनीकी अड़चनें हैं। सुरक्षा कारणों से हमारे उच्च कमेटियों के तरफ से तुरंत प्रतिक्रिया नहीं दे पाने की स्थिति आज भी बनी हुई है। हमारे सेंट्रल द्वारा वार्ता के लिए फिर प्रस्ताव को आगे बढ़ाने की प्रयास के रूप में इस पर चर्चा हुई है। इस बार भी वार्ता का प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य संघर्षों में हो रहे हत्याओं को तुरंत रोकना चाहिए।
बहुत केंद्रों की तरफ से हाल में ही शांति वार्ता को लेकर एक बयान जारी हुआ। उस बयान में भी यही अनुरोध किया गया कि वार्ता के लिए अनुकूल माहौल बननी चाहिए। छत्तीसगढ़ की उप मुख्यमंत्री श्री कौशिक जी ने इस पर प्रतिक्रिया दी। हमारी पार्टी की ओर से ‘अनुकूल माहौल’ बनाने की बात को हमेशा इन्कार किया गया। लेकिन अनुकूल माहौल के बिना वार्ता संभव नहीं होगा, यह सभी फिर स्पष्ट करना जरूरी है कि सरकार ने अभी जो स्थिति बनाई है, उसमें से ही जारी रहना चाहती है, इसका विरोध होना चाहिए। सरकार की आत्मसमर्पण नीति की समस्या को पूर्ण परिप्रेक्ष्य के साथ और स्पष्टता के साथ निपटारा करें, बयान जारी करें।
शांति वार्ता की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने संबंधित निर्णय लेने के लिए हम कुछ नेतृत्वकारी साथियों से मिलना है, स्थानीय नेतृत्व का प्रधान काम जरूरी है। लगातार नए क्षेत्रों को बनाने की हमें जरूरत नहीं है। प्रभाव, अनुकूल माहौल के लिए प्रचार अभियान को रोकना जरूरी है। वार्ता की प्रक्रिया को अंजाम तक पहुंचाने के लिए अनुकूल माहौल बनाना जरूरी है, इसे गंभीरता से लेना चाहिए।
बरसों से हो रहे हत्याओं को तुरंत रोकना चाहिए। इसलिए हम सरकार से फिर एक बार अनुरोध कर रहे हैं कि शांति वार्ता के लिए अनुकूल माहौल निर्मित करें। सरकार के तरफ से सकारात्मक माहौल निर्मित हो तो इस पर प्रक्रिया शुरू की जाएगी। विजय रूपाणी द्वारा उठाये गये कुछ विषयों को वार्ता की स्तर तक न लाएं। इस हत्याओं से प्रभावित इलाकों में जनता के बीच डर का माहौल में जी रहे हैं, जनता का जीवन यापन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। इस माहौल को बदलने के लिए युवा पीढ़ी को कुछ निर्णय लेने होंगे, वे सब जनता के पक्ष में सोचें और दिशा में सरकार प्रेरित करना चाहिए।
हम देश की सभी जनवादी पार्टियों, बुद्धिजीवियों, मानवाधिकार संगठनों, सामाजिक संगठनों व कार्यकर्ताओं, जनपत्रकारों से हम अपील कर रहे हैं कि वे शांति वार्ता के लिए अनुकूल माहौल निर्मित करने की हमारी मांग को समर्थन में आगे आएं। सरकार और माओवादियों के बीच में शांति वार्ता के लिए बनी समिति के साथियों से भी हम अपील कर रहे हैं कि इस प्रक्रिया को आगे ले जाने का काम करें।
बरसों से नेतृत्व बदल कर प्रभात जी भागा जाने की बात नहीं सही है। नेतृत्व पुलिस अधिकारियों के तहत बनाया जाना और आंदोलन के जरूरतों के मुताबिक बदलावों (रिवाल्विंग) सामान्य प्रक्रिया है। जिम्मेदारियों को छोड़कर कोई नहीं भागा। यह प्रचार मानसिक युद्ध का हिस्सा है। अगर ऐसा भागने का प्रयास हुआ है तो हमारे एसजेडसी सदस्य कामरेड रूपेश जो बयान में स्पष्ट कर रहे हैं, उन्होंने यह कहा कि माओवादी नेतृत्व ने कोई भाग नहीं किया है, जनता के लिए जमीन जंग ज़रूरी की।
हम पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले विकास विरोधी के रूप में हमें झारखंड के जंगलों में रहकर पेश किया जा रहा है। हम स्कूल, अस्पताल, अनाजभंडार, राशन दुकान, पुल-पुलिया, बिजली का विरोध नहीं करते। उन्हें पुलिसिंग से संचालन की मांग करते हैं, जबरन सेना या बार बार छापेमारी करते हैं, उसका हम विरोध करते हैं। हम हर तरह के भ्रष्टाचार से स्वास्थ्य और शिक्षा, रोजगार सुविधाओं को बढ़ाएं, जलवायु समस्या का हल करें — यही मांग करते हैं।
इन जनता के जल जंगल जमीन को लेकर हमारे ऊपर जो कोशिश किया, उसका हम जनता को बता रहे हैं। हक़ीक़त यह है कि हम पर्यावरण को नहीं काटते, लाल झंडे और पर्यावरण के हक़ में खड़े रहते हैं। हम केवल पर्यावरण की रक्षा में लड़ाई लड़ते हैं। मूलनिवासी और जल-जंगल-ज़मीन को बेदखल करने वाले, पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले परियोजनाओं के हम विरोध कर रहे हैं।