रायपुरः गृहमंत्री अमित शाह ने सीपीआई माओवादी के महासचिव बसवराज की मौत की पुष्टि कर दी है । अमित शाह ने ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट की कामयाबी का एलान करते हुए कहा है कि ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट के पूरा होने के बाद, 54 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है और 84 नक्सलियों ने छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र में आत्मसमर्पण किया है। इधर सीपीआई एमएल ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इसे एक्स्ट्रा जुडिशियल किलिंग बताया है ।
कौन है माओवादियों का महासचिव बसवराज ? LTTE से ली थी ट्रेनिंग, डेढ़ करोड़ का था इनाम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सुरक्षाबलों की इस कामयाबी पर बधाई दी है ।
Proud of our forces for this remarkable success. Our Government is committed to eliminating the menace of Maoism and ensuring a life of peace and progress for our people. https://t.co/XlPku5dtnZ
— Narendra Modi (@narendramodi) May 21, 2025
छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में बड़ा नक्सली ऑपरेशन चलाया गया । इस ऑपरेशन में 27 नक्सलियों की मौत हुई है । केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि “नक्सलवाद को समाप्त करने की लड़ाई में एक ऐतिहासिक सफलता प्राप्त हुई है। आज छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में एक बड़े ऑपरेशन के दौरान हमारे सुरक्षाबलों ने 27 खूंखार माओवादियों को ढेर कर दिया, जिनमें सीपीआई (माओवादी) के महासचिव, नक्सल आंदोलन की रीढ़ और शीर्ष नेता नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू भी शामिल हैं। भारत की नक्सलवाद के खिलाफ तीन दशकों की लड़ाई में यह पहली बार है जब महासचिव स्तर के नेता को हमारे सुरक्षाबलों ने ढेर किया है। मैं इस बड़ी कामयाबी के लिए हमारे वीर सुरक्षाकर्मियों और एजेंसियों की सराहना करता हूं। इसके साथ ही यह बताते हुए खुशी हो रही है कि मोदी सरकार 31 मार्च 2026 से पहले नक्सलवाद को पूरी तरह खत्म करने के लिए संकल्पबद्ध है।”
A landmark achievement in the battle to eliminate Naxalism. Today, in an operation in Narayanpur, Chhattisgarh, our security forces have neutralized 27 dreaded Maoists, including Nambala Keshav Rao, alias Basavaraju, the general secretary of CPI-Maoist, topmost leader, and the…
— Amit Shah (@AmitShah) May 21, 2025
इधर सीपीआई ‘एमएल’ ने कहा कि ये मुठभेड़ फर्जी है । पार्टी की विज्ञप्ति के मुताबिक केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की जश्न मनाती हुई पोस्ट से स्पष्ट है कि सरकार “ऑपरेशन कागर” को एक न्यायिक प्रक्रिया से बाहर जाकर की जा रही जनसंहार मुहिम के रूप में चला रही है और नागरिकों की हत्या तथा कॉरपोरेट लूट और सैन्यीकरण के खिलाफ आदिवासी विरोध को कुचलने को “माओवाद विरोधी अभियान” कहकर श्रेय लेने की कोशिश कर रही है।