मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लिखा पत्र
रांची। भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर सरहुल और रामनवमी जुलूस निकालने की अनुमति देने की मांग की हैं।
बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि झारखण्ड में सरहुल एवं रामनवमी पर्व, जो झारखण्ड के आमजनों की आस्था से जुड़ा पर्व है ये अगले कुछ दिनों में यह दोनों पर्व मनाए जाने वाला है। पिछले दो वर्षों से कोविड महामारी की वजह से झारखण्ड के लोग पर्व-त्योहार धूमधाम से नहीं मना पाए हैं। चूंकि अब स्थिति सामान्य हो गई है एवं हाल ही में केन्द्र एवं अन्य राज्य सरकारों द्वारा एसओपी गाईडलाइन द्वारा लगाए गए प्रतिबन्धों में छूट भी दे दी गई है। इसके मद्देनजर अब पर्व-त्योहार को धूमधाम से मनाने की अनुमति भी कई राज्यों द्वारा दी जा रही है।
भाजपा विधायक दल के नेता ने कहा कि झारखण्ड में दर्जनों सामाजिक संगठन सरहुल एवं रामनवमी के त्योहार में अपनी प्रमुख भूमिका निभाते हुए पर्व को धूमधाम से मनाते आए हैं, स्थिति अब सामान्य हो गई है इसलिए कई सामाजिक संगठनों ने इस वर्ष पूर्व की भांति यह दोनों पर्व को धूमधाम से मनाने की इच्छा जाहिर की है।
उन्होंने कि झारखण्ड में सरहुल जो प्रकृति से जुड़ा पर्व है और यहाँ की एक बहुत बड़ी आबादी अपनी सांस्कृतिक व धार्मिक परम्परा को जीवंतता बनाए रखने के उद्देष्य से प्रतिवर्ष लाखों लोग शोभा-यात्रा के रूप में नाचते-गाते इस प्रकृति पर्व को मनाते हैं, इसी तरह रामनवमी पर्व भी जो यहाँ जन आस्था से जुड़ा हुआ त्योहार हैं एवं भगवान श्री राम के जन्मोत्सव के रूप में झारखण्ड ही नहीं पूरे देष में करोड़ों लोग अपनी अटूट श्रद्धा व विष्वास के साथ रामनवमी के दिन शोभा-यात्रा निकालकर भगवान श्री राम के जन्मोत्सव को मनाते आ रहे हैं। हजारों वर्षों से चली आ रही यह धार्मिक एवं सांस्कृतिक परम्परा को प्रत्येक वर्ष की भाँति झारखण्ड में विभिन्न सामाजिक व धार्मिक संगठनों के लोग सरहुल एवं रामनवमी के अवसर पर शोभा-यात्रा निकालकर उत्सव को मनाना चाह रहे हैं। चूँकि कोविड महामारी की वजह से पिछले दो वर्षों से सभी पर्व-त्योहारों को लोग धूमधाम से नहीं मना पाए हैं। इसलिए सरकार से आग्रह हैं कि लोक आस्था एवं प्रकृति से जुड़े सरहुल एवं रामनवमी पर्व के अवसर पर सामाजिक संगठनों एवं विभिन्न धार्मिक संगठनों द्वारा उत्सव मनाने के लिए शोभा-यात्रा निकालने की अनुमति दी जाय ताकि झारखण्ड की धार्मिक एवं सांस्कृतिक परम्परा कायम रहे।