रांची: पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा एक और राजनीतिक पारी शुरू करने की तैयारी कर रहे है। 86 वर्षीय यशवंत सिन्हा ने अपने नई प्रस्तावित राजनीति पार्टी का नाम अटल विचार मंच रखा है। वे जल्द ही इस दिशा में बड़ी पहल करने जा रहे है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता रहे यशवंत सिन्हा ने पार्टी छोड़ने के बाद 2021 में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस की सदस्यता ली थी। लेकिन उनकी सक्रियता धीरे धीरे टीएमसी में खत्म होती चली गई। 2024 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने यशवंत सिन्हा के बेटे जयंत सिन्हा का टिकट हजारीबाग लोकसभा सीट पर काट दिया था उसके बाद यशवंत सिन्हा कांग्रेस उम्मीदवार जेपी पटेल को अपना खुला समर्थन दे दिया था, हालांकि जेपी पटेल बीजेपी उम्मीदवार मनीष जायसवाल के हाथों बुरी तरह चुनाव हार गए थे।
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यशवंत सिन्हा के बीजेपी उम्मीदवार के खिलाफ मुखालफत के बाद कई बीजेपी नेताओं ने पार्टी को लोकसभा चुनाव के दौरान छोड़ दिया था। यशवंत सिन्हा ने अपने करीबी नेताओं के साथ हजारीबाग के साकेतपुरी कॉलोनी स्थित अटल भवन में बैठक कर नई पार्टी के गठन का फैसला लिया। कभी इसी भवन में हजारीबाग जिले का बीजेपी दफ्तर संचालित होता था, अब इस दफ्तर से यशवंत सिन्हा के नई पार्टी का संचालन होगा।
झारखंड में नवंबर-दिसंबर में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं और इसमें यशवंत सिन्हा कुछ सीटों पर अपनी पार्टी के उम्मीदवार उतार सकते हैं। समर्थकों ने सिन्हा से खुद हजारीबाग विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का आग्रह किया है। यशवंत सिन्हा हजारीबाग लोकसभा सीट से तीन बार सांसद और संयुक्त बिहार में रांची विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं। केंद्र में चंद्रशेखर और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वह वित्त मंत्री और विदेश मंत्री रह चुके हैं।
वर्ष 2014 में भारतीय जनता पार्टी ने हजारीबाग सीट से यशवंत सिन्हा की जगह उनके पुत्र जयंत सिन्हा को चुनाव मैदान में उतारा था। यशवंत सिन्हा ने भी 2014 में पुत्र के सांसद बनने के बाद राजनीति से अघोषित तौर पर रिटायरमेंट ले ली थी, लेकिन वर्ष 2020 में वह एक बार फिर सक्रिय हुए।
उन्होंने बिहार के कई इलाकों का दौरा किया और ‘भारतीय सब लोग पार्टी’ नामक राजनीतिक दल भी बनाया। हालांकि ‘भारतीय सब लोग पार्टी’ प्रभाव नहीं छोड़ पाई। इसके बाद सिन्हा वर्ष 2021 में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए। वर्ष 2022 में वह विपक्षी दलों की ओर से राष्ट्रपति पद के संयुक्त उम्मीदवार बनाए गए थे।