Opration Sindoor: जब भारत अपनी पश्चिमी सीमा पर ऑपरेशन सिंदूर के ज़रिए देश के दुश्मनों के ठिकाने ध्वस्त कर रह था। उसी समय हमारे खिलाफ एक और मोर्चा खोल दिया गया, साइबर वॉरफेयर का मोर्चा। देश पर एक संगठित और सुनियोजित साइबर हमला किया गया, जिसका उद्देश्य न केवल संवेदनशील जानकारी चुराना था, बल्कि भारत को वैश्विक मंच पर झुकाना भी था। यह हमला सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं 6 देशों से हुआ।
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, साइबर हमला पाकिस्तान, तुर्किये, बांग्लादेश, मलेशिया और इंडोनेशिया से जुड़े हैकर्स और हैक्टिविस्ट्स द्वारा किया गया, जिन्हें चीन का परोक्ष समर्थन भी मिला। साइबर अटैक में भारत के रक्षा उपक्रम, MSME सप्लायर्स, पोर्ट्स, एयरपोर्ट, रेलवे, पावर ग्रिड, BSNL जैसी सरकारी टेलीकॉम कंपनियां, यूपीआई और डिजिटल वॉलेट जैसी सेवाएं सब को निशाना बनाया गया।
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Interpol से प्रशिक्षित साइबर फॉरेंसिक एक्सपर्ट पेंद्याला कृष्ण शास्त्री ने माना कि यह हमला पाकिस्तान समर्थित साइबर समूहों द्वारा किया गया, जिनका मकसद भारत की अर्थव्यवस्था, रक्षा और पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर को बाधित करना था।
लेकिन इस हमले से भारत की तैयारी और साइबर रेस्पॉन्स क्षमता भी उजागर हुई – अधिकांश हमलों को समय रहते नाकाम किया गया और प्रभावित सिस्टम को जल्द ही बहाल कर लिया गया।
कुछ सरकारी वेबसाइटें जैसे niws.nic.in और nationaltrust.nic.in को डिफेस किया गया, वहीं Central Coalfields Ltd की साइट पर एक संदिग्ध संदेश दिखा – “You thought you were safe, but we are here” – जिसका दावा ‘Mr. Habib 404’ नामक पाकिस्तानी ग्रुप ने किया।
सीसीएल के पीआरओ आलोक गुप्ता ने कहा, “वेबसाइट को बहाल कर दिया गया है और यह सामान्य रूप से काम कर रही है। कंपनी के डेटा में कोई नुकसान नहीं हुआ है। फिलहाल हम केवल यह कह सकते हैं कि समस्या तकनीकी गड़बड़ी के कारण थी। हम यह निष्कर्ष नहीं निकाल सकते कि यह हैक हुई थी या नहीं।”
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