उलिहातूः नारायण मुंडा उबड़ खाबड़ पगडंडी पर बड़ी मुश्किल से चल पा रहे हैं । उम्र 81 वर्ष हो चुकी है । फिर भी चल फिर लेते हैं । रगों में भगवान बिरसा मुंडा का खून जो बहता है । थकते नहीं और ना ही दुखों के पहाड़ का बोझ लिए हुए झुकते हैं । बेटे की मौत हो चुकी है । मंगल मुंडा अब इस दुनिया में नहीं है । पिता नारायण मुंडा मिट्टी देने के लिए बुढ़े कदमों से उबड़ खाबड़ पगडंडी पर आगे बढ़ रहे हैं । कलेजे का टुकड़ा दुनिया से चला गया पर शोक शिकन बन कर झुर्रियों को बीच कहीं खो चुका है ।
बिरसा के पोते का दुख
मंगल मुंडा की मां पर टूटा दुखों का पहाड़
भगवान बिरसा मुंडा के परपोते मंगल मुंडा की मां लखमनी मुंडा दहाड़ मार कर रो रही हैं । कैमरे में सब क़ैद हो रहा है । बिरसा की बहू को मालूम भी नहीं कि कैमरे में तस्वीरें क़ैद करने से किसे फायदा होगा । उनका तो बेटा गया । बिरसा का परपोता चला गया । सड़क हादसे के बाद इलाज के दौरान मौत हो गई । लखमनी मुंडा रोने के अलावा कर भी क्या सकती है। टूटी चप्पल, बहुत पुरानी साड़ी और स्वेटर पहन कर उस सड़क तक आती हैं जिसे उन नेताओं के लिए ख़ास तौर से बनाया गया था जो भगवान बिरसा मुंडा के नाम आदिवासी गौरव दिवस मनाते हैं, जीत के बाद मूर्तियों पर माल्यार्पण करते हैं। बिरसा के परपोते के शव को लेकर जा रही गाड़ी रुकती है और फिर लखमनी मुंडा और तमाम औरतें मुंडा परंपरा के मुताबिक़ रस्में अदा करती हैं और रुक जाती हैं । मां का साथ यहीं तक था । आगे महिलाओं के जाने की मनाही है । बाकी काम पुरुष करेंगे ।
सांसद-विधायक ने की रस्म अदायगी
हाल के ही चुनाव में जीत कर सांसद बने कालीचरण मुंडा, तोरपा सुदीप गुड़िया विधायक, खूंटी विधायक रामसूर्य मुंडा उलिहातू में घंटों तक रहे । परिवार को ढाढ़स बंधाने के अलावा अंतिम संस्कार तक वे नज़र आएं । उनके चेहरे पर भी लाचारगी साफ़ दिख रही थी… खूंटी में..झारखंड में तो ऐसे ही लोग राह चलते हादसों के शिकार हो जाते हैं । इस बार भगवान के परपोते ही विकास की सड़क की भेंट चढ़ गए। उन्होंने मिट्टी दी । पोते नारायण मुंडा से मुंडारी में थोड़ी बहुत बात की और चले गए।
हर दिन जाती है किसी ना किसी की जान
गाँव वाले, कुछ समाजसेवी मिट्टी देने आए, परिजन भी पहुंचे । सब ने रस्म अदायगी की । खूंटी के लिए उलिहातू के लिए इस तरह के हादसे बहुत आम बात है । गांव में सड़क तो पहुंची है लेकिन परिवहन की वही व्यवस्था नहीं है….टेंपो, पिकअप वैन, टाटा मैजिक में लटक कर आना और जाना । क़िस्मत सही रही तो सही सलामत घर पहुँच जाएंगें। ख़राब रही तो सरकारी अस्पताल और रिम्स ।
रात भर करते रहे वेंटिलेटर का इंतज़ार
बिरसा मुंडा के एक और पोते हैं जंगल सिंह मुंडा । अंतिम संस्कार में मिट्टी देने के बाद जब उनसे बात की तो उन्होंने बताया कि रांची के रिम्स में वेंटिलेटर नहीं मिला तो रात भर एंबुलेंस में ही रहे । सुबह अर्जुन मुंडा का फ़ोन आया तो एडमिट हुए और फिर इलाज शुरु हुआ । मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी आए थे, एयर एंबुलेंस की व्यस्था की गई थी लेकिन इलाज से संतुष्ट से लिहाजा नहीं ले गए । मंगल मुंडा को सिर भी गंभीर चोट लगी थी ।
नहीं था आयुष्मान कार्ड
मंगल मुंडा के भाई जंगल सिंह मुंडा बताते हैं कि निजी अस्पताल नहीं जा सके क्योंकि निजी अस्पताल वाले 20-25 हज़ार पहले ही रखवा लेते हैं । आयुष्मान कार्ड भी नहीं था लिहाजा रिम्स में सुबह होने का इंतज़ार करते रहे । जिस भगवान बिरसा के नाम पर हर 14 नवंबर को करोड़ों रुपए का बजट बनता है , प्रधानमंत्री सियासी इस्तेमाल करते हैं, मुख्यमंत्री माला पहनाते हैं उनके वंशजों की आर्थिक दशा सौ साल में नहीं सुधर सकी ।
एसपी का जवाब
उलिहातू में जहां अंतिम संस्कार हो रहा था वहां खूंटी के एसपी दूर खड़े सारी व्यवस्था देख रहे थे । उनसे बातचीत की और सवाल पूछा गया कि इस तरह सड़कों पर बेतहाशा भागती गाड़ियों पर लगाम क्यों नहीं लगती हैं तो वे कहते हैं कि जागरुकता की जरुरत है । लोगों को ट्रैफिक नियमों का पालन करना सीखना होगा ।
बिरसा मुंडा के पोते ने बताई हकीकत
और अंत में मंगल मुंडा के इक्सासी वर्ष के पिता नारायण मुंडा थक कर बैठ जाते हैं और पत्रकारों के सवाल के जवाब देते हैं । जब हमने पूछा कि सरकार से क्या मदद मिलती हैं तो कहते कि सरकार से अनाज मिलता है जो हर ग़रीब परिवार को मिलता है, पेंशन मिलती है हज़ार रुपए जो हर ग़रीब बुजुर्ग को मिलती है । उन्हें बहुत उम्मीद भी नहीं । वे खूंटी की सड़कों को देख, देश के सर्वोच्च पद पर राष्ट्रपति को देख ख़ुश होते हैं । बेटे के जाने के ग़म को छुपाते हैं।
…और अंत में पहुंचे अर्जुन मुंडा
उलिहातू में शाम ढल गई , अंतिम संस्कार खत्म हो गया और विधायक और सांसद सब चले गए तो अर्जुन मुंडा पहुंचे । जहां मंगल मुंडा चीर निद्रा में सो गए वहां प्रणाम करते हैं और फिर नारायण मुंडा के घर चले जाते हैं । पीछे हेमंत सोरेन की तस्वीर उलटी लटकी हुई है और अर्जुन मुंडा परिजनों से बातचीत करते हुए नज़र आते हैं। वे खूंटी में दस साल तक सांसद रहे ।