दिल्लीः VVPAT पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है । सुप्रीम कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है । दोपहर दो बजे के बाद जब जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच बैठी तो चुनाव आयोग के अधिकारी मौजूद थे जिन्होंने जो कोर्ट द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब दिए। ईसीआई ने बताया कि सीयू, बीयू और वीवीपैट तीनों के अलग अलग माइक्रोकंट्रोलर होते हैं । उसे मशीन के अंदर ही रखा जाता है और उसे निकालना संभव नहीं है । माइक्रोकंट्रोलर को सिर्फ एक बार के इस्तेमाल के लिए ही बनाया जाता है ।
ECI ने दी सारी जानकारियां
चुनाव आयोग ने बताया कि सभी मशीन को पैंतालीस दिनों के लिए सुरक्षित रखा जाता है । छयालिसवें दिन मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी संबंघित हाईकोर्ट को लिखता है कि अगर चुनाव संबंधी कोई कोई केस हैं तो जानकारी दे, जिसके बाद संबंधित ईवीएम को सुरक्षित रखा जाता है। चुनाव आयोग ने यह भी बताया की ECI ने यह जानाकरी दी की तीनों यूनिट BU, CU, VVPAT) को वोटिंग के बाद सील कर दिया जाता है ।
प्रशांत भूषण ने चिप पर उठाए सवाल
याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करते हुए वकील प्रशांत भूषण ने सवाल माइक्रोकंट्रोलर पर सवाल उठाया । प्रशांत भूषण ने कहा कि ईवीएम चीप का एक बार के लिए ही प्रोग्रामिंग होना संदेह के घेरे में है क्योंकि उत्पादक कंपनी एक आरटीआई के जवाब में यह माना था कि इस चिप का इस्तेमाल किया जाता है । कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है ।
VVPAT पर ECI से Supreme Court के सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने ईसीआई (ECI)से निम्नलिखित प्रश्न भी पूछे:
1. क्या नियंत्रण इकाई या वीवीपैट में माइक्रोकंट्रोलर स्थापित है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ”यह धारणा थी कि ईवीएम की नियंत्रण इकाई में माइक्रोकंट्रोलर स्थापित किया गया था।
2. क्या स्थापित माइक्रोकंट्रोलर एक बार प्रोग्राम करने योग्य है?
3. EC के पास कितनी सिंबल लोडिंग इकाइयाँ उपलब्ध हैं
4. किसी भी चुनाव याचिका या पुनर्गणना की स्थिति में ईवीएम के भंडारण की सीमा अवधि 30 दिन बताई गई थी। हालाँकि, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 81 कहती है कि सीमा अवधि 45 दिन है। सुप्रीम कोर्ट स्पष्टीकरण चाहता है.
5. SC ने कहा कि ईवीएम में तीन घटक शामिल हैं – बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और वीवीपैट। क्या उन्हें एक साथ संग्रहीत और सील किया गया है?
गौलतलब हैकि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में दर्ज वोटों का वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों से पूर्ण सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट को निर्देश देना था । supreme Court ने ईवीएम और VVPAT की कार्यप्रणाली और उनकी सुरक्षा विशेषताओं को समझने के लिए चुनाव आयोग (ईसीआई) के एक अधिकारी के साथ व्यापक बातचीत की। ईसीआई ने कहा कि किसी भी परिस्थिति में ईवीएम के साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती और वीवीपैट पर्चियों की पूरी गिनती व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है।
VVPAT की पर्ची से सत्यापन की मांग
Supreme Court में रिट याचिकाएं एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर), अभय भाकचंद छाजेड़ और अरुण कुमार अग्रवाल द्वारा दायर की गई हैं। याचिकाकर्ताओं ने इस बात पर जोर देते हुए कि मतदाताओं का विश्वास बढ़ाने के उपाय अपनाए जाने चाहिए, तर्क दिया कि निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया के बड़े लक्ष्य के लिए एक छोटी सी कीमत चुकाने के लिए परिणामों की घोषणा में कुछ दिनों की देरी की जानी चाहिए। सुनवाई के दौरान पीठ ने मौखिक रूप से मैन्युअल गिनती प्रक्रिया पर भी आपत्ति जताई और कहा कि मानवीय हस्तक्षेप से समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
अभी रैंडमली होती है जांच
मौजूदा नियमों के मुताबिक ईसीआई एक संसदीय क्षेत्र में प्रति विधानसभा क्षेत्र के पांच मतदान केंद्रों से ईवीएम की वीवीपैट पर्चियों का रैंडमली सत्यापन करता है। यह तब हुआ है जबकि 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने एक निर्देश पारित कर कहा था कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में एक मतदान केंद्र की जगह पांच मतदान केंद्रों का सत्यापन किया जाए
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