पटना: बिहार के बाढ़ और मोकामा के टाल क्षेत्र में एक समय खौफ का पर्याय रहे बाहुबली विवेका पहलवान उर्फ विवेक सिंह की बुधवार रात मौत हो गई। विवेका को दिल का दौरा पड़ा था। वे लंबे समय से बीमार भी चल रहे थे। विवेका पहलवान के निधन पर मोकामा के पूर्व विधायक एवं बाहुबली अनंत सिंह ने शोक जताया है। दोनों आपस में गोतिया (रिश्तेदार) थे। एक दौर था जब टाल क्षेत्र इन दोनों की आपसी रंजिश और गैंगवार से दहशत में रहता था। एक बार विवेका पहलवान ने अनंत सिंह के शरीर में गोली भी उतरवा दी थी, हालांकि उनकी जान बच गई थी। यह दुश्मनी दशकों तक चली और कई बार गैंगवार हुए, जिसमें दोनों पक्षों के कई लोग मारे गए।
बाहुबली विवेक सिंह कुश्ती खेलते थे, उन्होंने बिहार केसरी का खिताब भी जीता था। मोकामा और बाढ़ क्षेत्र में विवेका पहलवान एक कुख्यात नाम रहा है। वह अनंत सिंह के गांव लदमा के ही रहने वाले थे। रिश्तेदार होने के बावजूद अनंत सिंह और विवेका की पारिवारिक विवाद, राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं और वर्चस्व को लेकर गहरी दुश्मनी रही। मोकामा और आसपास के टाल क्षेत्र में अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए विवेका पहलवान और अनंत सिंह के बीच टकराव होता रहा।
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अनंत सिंह के भाई की हत्या से शुरू हुआ था गैंगवार
1986 में अनंत सिंह के बड़े भाई विरंची सिंह की हत्या कर दी गई। इसके बाद से दोनों गैंग के बीच खून-खराबा शुरू हो गया। छोटे सरकार के नाम से मशहूर अनंत सिंह मोकामा से विधायक बन गए। वहीं, विवेका पहलवान ने भी अपना राजनीतिक प्रभुत्व स्थापित कर खुद को मजबूत किया। विभिन्न पार्टियों के प्रमुख नेताओं से उनके भी करीबी रिश्ते रहे।
2006 में विवेका पहलवान के करीबी रहे संजीत पहलवान की पटना के बेऊर में गोली मारकर हत्या कर दी गई। अनंत सिंह के गैंग पर मर्डर का शक हुआ। इससे दोनों गैंग के बीच तनाव और बढ़ गया। 2009 में लदमा गांव में फिर से खून-खराबा हुआ। अनंत सिंह के घर में घुसकर विवेका पहलवान ने हमला बोल दिया। उनके भाई संजय सिंह ने अनंत सिंह के शरीर में गोली उतार दी। गंभीर रूप से घायल अनंत को ठेले पर लादकर अस्पताल ले जाया गया, उनकी जान बच गई। उसी साल संजय की पटना में हत्या कर दी गई तो अनंत सिंह का नाम उसमें उछला।
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एके-47 रखने में अनंत सिंह समर्थकों को विवेका गुट पर था शक
घर से एके-47 जैसे खतरनाक हथियार बरामद होने पर अनंत सिंह जेल गए। उनके समर्थक दावा करते हैं कि विवेका पहलवान ने ही साजिश के तहत उन्हें फंसाने के लिए यह हथियार घर में रखवाया था। इस साल जनवरी महीने में सोनू-मोनू गैंग से अनंत सिंह की भिड़ंत्त हुई थी। दोनों ओर से 60-70 राउंड गोलियां चलाई गईं। इसमें भी विवेका पहलवान चर्चा में आए थे। क्योंकि सोनू और मोनू विवेका के लिए भी काम कर चुके हैं।
अनंत सिंह और विवेका पहलवान के बीच 80 के दशक में शुरू हुई दुश्मनी साल 2020 तक चली। इस दौरान दोनों पक्षों से दो दर्जन लोग मारे गए। हालांकि, समय के साथ हालात बदले और दोनों के रिश्तों में नरमी भी आई। जेडीयू नेता एवं मुंगेर सांसद ललन सिंह की मध्यस्थता से दोनों के बीच सुलह हुई। 2024 के लोकसभा चुनाव में अनंत सिंह ने मुंगेर से लड़े ललन सिंह को अपना सपोर्ट दिया और वे जीते भी।
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