नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक नए आयकर विधेयक को मंजूरी दे दी है, जिसका उद्देश्य कर प्रणाली को सरल और आधुनिक बनाना है, बिना नए कर लगाए। यह विधेयक वित्त वर्ष 2025-26 से प्रभावी होगा और इससे कानूनी जटिलताएँ कम होंगी, अनुपालन आसान होगा, और कानून की लंबाई 50% तक घट जाएगी।
शुक्रवार को कैबिनेट ने इस नए आयकर विधेयक को मंजूरी दी, जो 1961 के आयकर अधिनियम की जगह लेगा। यह विधेयक कर कानूनों की भाषा को आसान बनाएगा ताकि करदाताओं को प्रावधानों को समझने में कोई कठिनाई न हो। वित्त सचिव ने गुरुवार को पुष्टि की कि इस विधेयक में कोई नया कर नहीं जोड़ा जाएगा। इसके बजाय, यह कर कानूनों को सरल बनाने, कानूनी जटिलताओं को कम करने और करदाताओं के लिए अनुपालन को सुगम बनाने पर ध्यान केंद्रित करेगा।
सरकार ने यह भी बताया कि नए कानून की लंबाई मौजूदा कानून की तुलना में 50% कम होगी, जिससे कर विवादों में कमी आएगी। साथ ही, कुछ अपराधों के लिए कम जुर्माने का प्रावधान किया जा सकता है, जिससे कर प्रणाली अधिक अनुकूल होगी। यह भी पढ़ें | नया आयकर विधेयक करदाताओं के लिए क्या बदलाव ला सकता है
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को बजट भाषण के दौरान इस नए विधेयक की घोषणा की थी। नया कर प्रणाली वित्त वर्ष 2025-26 से लागू होगी और यह करदाताओं के लिए निर्धारण वर्ष 2026-27 से प्रभावी होगी।