लोहरदगा…कहते है जंगल में सबसे पहले सीधा पेड़ ही कटता है । लोहरदगा के सांसद सुदर्शन भगत का टिकट उनकी पार्टी ने काट दिया। तीन बार के सांसद सुदर्शन भगत को जब दिल्ली से उनके टिकट कटने का फोन आया तो ठीक उनके बगल में समीर उरांव खड़े थे जिनको बीजेपी ने टिकट दिया । सुदर्शन भगत ने अनुशासित सदस्य की तरह मोदी का फैसला सुन लिया और समीर उरांव को बधाई दे दी । सवाल ये उठता है कि आखिर सुदर्शन भगत में ऐसी क्या कमी रही जिसकी वजह से उनका टिकट काट दिया गया । क्या वे संघ से नहीं आए थे ? क्या लोकसभा क्षेत्र में उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था और क्या उन पर किसी तरह का आरोप लगा था ? इन तीनों सवालों के जवाब की तलाश करें तो सुदर्शन भगत संघ के पुराने झंडाबरदारों में एक रहे हैं । उन्होंने लोहरदगा जैसी अनुसूचित जनजाति सीट पर बीजेपी का ना सिर्फ वोट बैंक स्थापित किया बल्कि लगातार तीन बार चुनाव जीत कर भी दिखा दिया । इतना ही नहीं झारखंड जैसे राज्य में उन पर कभी भी किसी तरह का आरोप नहीं लगा, ना तो भ्रष्टाचार और ना ही किसी तरह के आपत्तिजनक बयान देन का , फिर भी पार्टी ने चुनावी राजनीति से किनारे लगा दिया ।
अब सवाल ये उठता है कि सुदर्शन भगत का बीजेपी की पुरानी टीम का हिस्सा होने और गुटबाजी से दूर होने की वजह से टिकट कट गया । लो प्रोफाइल रहने वाले बीजेपी के इस सांसद ने झारखंड जैसे राज्य में पार्टी का झंडा कई दशकों तक ढोया मगर उनको उस तरह का रिवार्ड नहीं हासिल हो पाया जैसा की बड़बोले नेताओं को मिलता रहा है । संयत और संयम से बोलने वाले सुदर्शन भगत एक मार्च को धनबाद में पीएम मोदी के कार्यक्रम में शामिल थे और मंच में गीता कोड़ा के बगल में जगह मिली थी । उन्हें एहसास भी नहीं होगा पिछली रात बीजेपी की चुनाव समिति की बैठक में उनकी किस्मत का फैसला कर मोदी धनबाद आए हैं । हांलाकि सुदर्शन भगत ने गौतम गंभीर औऱ जयंत सिन्हा की तरह सोशल साइड्स पर अपनी विदाई संदेश नहीं लिखा है मगर उनकी नाराजगी लोहरदगा सीट पर भारी पड़ सकती है । क्योंकि पिछले चुनाव में हार और जीत का अंतर कम रहा था ।