रांची: झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाली दुमका के जामा विधानसभा से विधायक सीता सोरेन का विधायक पद से इस्तीफे का मामला अब भी फंसा हुआ है। नियमानुसार इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष के पास नहीं भेजे जाने के कारण उसे अबतक स्वीकार नहीं किया गया है।
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19 मार्च को जेएमएम से इस्तीफा देकर सीता सोरेन ने बीजेपी की सदस्यता ले ली थी। उसी दिन सीता सोरेन ने अपनी बेटी के ईमेल आईडी से इस्तीफा फॉरवर्ड किया था। स्पीकर के पास इस्तीफा उचित माध्यम से नहीं भेजे जाने के कारण उनका इस्तीफा अब तक स्वीकृत नहीं हुआ है। इस संबंध में स्पीकर ने सीता सोरेन को सूचित किया है कि वो अपना इस्तीफा या तो खुद आकर या फिर अपने विशेष दूत के माध्यम से भेजे।
19 मार्च को पार्टी और विधायक पद से इस्तीफा देते हुए सीता सोरेन ने जेएमएम अध्यक्ष और अपने ससुर शिबू सोरेन के नाम भावुक चिट्ठी लिखते हुए अपनी उपेक्षा किये जाने का आरोप लगाया था। उन्होने लिखा था कि उनके पास पार्टी में केंद्रीय महासचिव का पद है लेकिन पार्टी के अंदर उनको कोई अहमियत नहीं मिलती, जिस पार्टी को उनके पति दुर्गा सोरेन ने अपनी मेहनत से खड़ा किया वो पार्टी ऐसे लोगों के पास चली गई जिनके विचार पार्टी की विचारधारा से मेल नहीं खाती। सीता सोरेन जामा से तीन बार विधायक रह चुकी है, बीजेपी में शामिल होने के बाद पार्टी ने उन्हे दुमका से चुनाव मैदान में उतारा, लेकिन लोकसभा चुनाव में उन्हे जेएमएम उम्मीदवार नलिन सोरेन के हाथों मात खानी पड़ी।