डेस्कः पहलगांव में मंगलवार को हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई और 17 लोग घायल हो गये। मरने वालों में दो विदेशी है। आतंकियों ने सिर्फ पुरूषों को निशाना बयाना और धर्म पूछकर उनको गोली मारी। इस हमले के मास्टमाइंड के रूप में सैफुल्लाह कसूरी उर्फ खालिद का नाम सामने आया है। उसे सैफल्लाह साजिद जट्ट, अली, हबीबुल्लाह और नौमीन समेत कई नामों से जाना जाता है।
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पहलगाव में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी द रेजिस्टेंस फ्रंट(TRF) ने ली है। इस हमले का मास्टरमाइंड लश्कर-ए-तैयबा का डिप्टी चीफ सैफुल्लाह कसूरी है, जिसे हाफिज सईद का करीबी बताया जा रहा है।खुफिया एजेंसियों के अनुसार वह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का रहने वाला है और लश्कर ए तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद का सबसे भरोसेमंद सहयोगी है। उसकी उम्र 40-45 वर्ष के बीच मानी जाती है, और वह पिछले दो दशकों से जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है।एक रिपोर्ट के अनुसार, पहलगाम हमले से दो महीने पहले ही कसूरी पाकिस्तान के कंगनपुर गया था। खास बात है कि यहां पाकिस्तानी सेना की एक बटालियन रहती है।
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इसके अलावा दो PoK के दो ऑपरेटिव्स को लेकर भी जानकारी जुटाई जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि हमला पहले से तय था और हमलावरों ने पहले ही इलाके का जायजा लिया था।इसके अलावा अबू मूसा का नाम भी सामने आ रहा है। फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, 18 अप्रैल को रावलकोट में हुई रैली में मूसा ने कहा था, ‘जिहाद जारी रहेगा। बंदूकें बोलेंगी और कश्मीर में सिर कलम होना जारी रहेगा। भारत गैर स्थानीय लोगों को निवासी प्रमाण पत्र देकर कश्मीर की जनसांख्यिकी बदलना चाहता है।’
सैफुल्लाह ने 2000 के दशक की शुरुआत में लश्कर-ए-तैयबा ज्वाइन किया।पाकिस्तान के मुरीदके में LET के कैंप में ट्रेनिंग लिया। कहा जाता है कि उसकी भर्ती और ट्रेनिंग में हाफिज सईद का सीधा दखल था।सैफुल्लाह को जम्मू-कश्मीर के पुंछ-राजौरी इलाके में लश्कर के आतंकी गतिविधियों का मेन हैंडलर माना जाता है। वह POK के कोटली जिले में लश्कर के खुइरट्टा डेट्स एक छोटे आतंकी समूह का चीफ रह चुका है। यहीं से भारत में आतंकी भेजे जाते हैं।सैफुल्लाह ने द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) और पीपल्स एंटी-फासिस्ट फोर्स (PAFF) बनाया। यही जैश-ए-मोहम्मद के लिए काम करते हैं ताकि वह हमलों की सीधे जिम्मेदारी लेने से बच सके। हाफिज सईद का यह बेहद करीबी है।खुफिया एजेंसियों का मानना है कि सैफुल्लाह कसूरी पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड है। उसने 5-6 पाकिस्तानी आतंकियों को इस हमले को अंजाम देने के लिए भेजा था। यह कुछ दिन पहले ही जम्मू कश्मीर में घुसपैठ करके आए थे।
TRF क्या है और इसका असली मकसद?
TRF की शुरुआत 2019 में उस समय हुई थी जब भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया. यह संगठन लश्कर-ए-तैयबा का ही नया चेहरा है, जिसे FATF जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थानों की नजरों से बचाने के लिए तैयार किया गया था। TRF सोशल मीडिया के माध्यम से आतंकी एजेंडे को फैलाता है और घाटी में टारगेट किलिंग जैसे हमलों को अंजाम देता है। TRF की हालिया हिट लिस्ट में भारतीय सुरक्षा बलों के अधिकारियों से लेकर भाजपा नेताओं तक के नाम शामिल थे, जिससे इसकी घातक मंशा का अंदाजा लगाया जा सकता है।
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यह साफ है कि सैफुल्लाह खालिद और TRF की ये साजिशें सिर्फ भारत के अमन-चैन पर ही नहीं, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया की स्थिरता पर हमला हैं। अब सवाल यह है कि क्या अंतरराष्ट्रीय समुदाय ऐसे तत्वों को हमेशा नजरअंदाज करता रहेगा, या आतंक के इस नेटवर्क को जड़ से उखाड़ने में भारत का साथ देगा?