हजारीबागः लोकनायक जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारा में शनिवार सुबह एक बड़ा हादसा सामने आया, जब आत्मसमर्पित नक्सली श्यामलाल देहरी उर्फ संतु देहरी उर्फ सोमालाल देहरी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। उसका शव जेल के डी-वार्ड में फंदे से लटका मिला, जिससे जेल प्रशासन में अफरा-तफरी मच गई।
2020 में किया था तीन साथियों के साथ सरेंडर
श्यामलाल देहरी झारखंड के दुमका जिले के काठीकुंड थाना क्षेत्र का निवासी था। उसने 24 जनवरी 2020 को राज्य सरकार की नक्सली आत्मसमर्पण नीति से प्रभावित होकर दो अन्य नक्सलियों – राजेंद्र राय उर्फ गहना राय और रिमील दा उर्फ सोकुल दा के साथ आत्मसमर्पण किया था। श्यामलाल ने पिस्टल के साथ आत्मसमर्पण किया था। राजेंद्र और रिमील ने राइफल के साथ सरेंडर किया था।

श्यामलाल पर चल रहे थे कई मुकदमे
तीनों नक्सलियों के खिलाफ कई गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे। । श्यामलाल पर 7 मामले राजेंद्र राय पर 6 मामले रिमील दा पर 8 मामले दर्ज थे । झारखंड सरकार ने श्यामलाल पर ₹1 लाख, जबकि राजेंद्र और रिमील पर ₹5-5 लाख का इनाम घोषित किया था।आत्मसमर्पण के बाद श्यामलाल को पहले दुमका केंद्रीय कारा में रखा गया था। बाद में 9 फरवरी 2021 को उसे हजारीबाग जेल स्थानांतरित किया गया, जहां वह विचाराधीन कैदी के रूप में बंद था। उस पर नक्सली गतिविधियों से जुड़े कुल 8 मुकदमे चल रहे थे।
श्यामलाल देहरी क्यों बना था नक्सली ?
श्यामलाल देहरी पर एक लाख रुपए का इनाम घोषित था। देहरी पर शिकारीपाड़ा, काठीकुंड और रामगढ़ थाना में छह मामले दर्ज हैं। देहरी ने नक्सली संगठन में शामिल होने का कारण बताया था कि कि मई-2013 में गांव में शादी थी। शादी में दस्ता के कुछ लोग आये थे। इनलोगों के द्वारा उसे अच्छा खाने-पीने, पढ़ाने एवं रहने का प्रलोभन दिया गया। उम्र काफी कम थी। घर के हालत भी अच्छी नहीं थी। पैसे की काफी तंगी थी। इस पैसे का प्रलोभन दिया गया तो मैं लालच में आकर दस्ते में शामिल हो गया था