रांची: मैनहर्ट घोटाला में हाईकोर्ट ने सरयू राय की याचिका पर बुधवार को फैसला सुनाया। कोर्ट ने एंटी करप्शन ब्यूरों द्वारा प्रारंभिक जांच रिपोर्ट पेश नहीं किये जाने और एफआईआर दर्ज नहीं होने के कारण याचिका को खारिज कर दिया।
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22 जून 2024 को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। बुधवार को कोर्ट ने फैसला सुनाते समय प्रार्थी के वकील से पूछा कि जब आपको पता था कि मैनहट को रांची में सीवरेज ड्रेनेज के डीपीआर काम दिये जाने में वित्तीय गड़बड़ी हुई है तो थाने में प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं करवाई, आप सिविल कोर्ट में शिकायतवाद भी दर्ज करा सकते थे, लेकिन आपने विजलेंस में शिकायत कर मामले को छोड़ दिया।
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क्या था मामला
झारखंड राज्य के गठन के बाद हाईकोर्ट ने 2003 में अहम आदेश देकर राजधानी रांची में सिवरेज-ड्रेनेज प्रणाली विकसित करने के लिए कहा था। इसके बाद तत्कालीन नगर विकास मंत्री बच्चा सिंह के आदेश पर परामर्शी बहाल करने के लिए टेंडर निकाल कर दो परामर्शी का चयन किया। इसी बीच सरकार बदल गई और 2005 में अर्जुन मुंडा की सरकार में नगर विकास मंत्री रहे रघुवर दास ने डीपीआर फाइनल करने के लिए 31 अगस्त को बैठक बुलाई। बैठक में फैसला हुआ कि पहले से चयनित परामर्शी को हटा दिया जाए। बाद में ये मामला हाईकोर्ट में चला गया। आरापों के अनुसार इसपर 21 करोड़ रूपये खर्च हुए लेकिन धरातल पर कुछ भी नहीं हुआ। इसकी जांच भी कराई गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। रांची में सीवरेज ड्रेनेज निर्माण को लेकर डीपीआर तैयार करने के मैनहर्ट को नियुक्ति किया गया। जिसमें बड़ पैमाने पर अनियमितता का आरोप लगा। सरयू राय ने इस मामले को विधानसभा में उठाया जिसके बाद राज्य सरकार के निर्देश पर एसीबी ने दिसंबर 2020 में पीई दर्ज की, लेकिन रिपोर्ट प्राप्त नहीं होने पर सरयू राय ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस ढ़ाई साल में मैनहर्ट घोटाला में पीई में क्या क्या आया अबतक पता नहीं चला।