साइबर अपराधी अब लोगों को ठगने का नया हथियार बना लिया है। साइबर अपराधी ऐसी-ऐसी कहानियां बनाकर लोगों को डरा रहे हैं, जिसमें पढ़े-लिखे जानकार लोग फंस जा रहे हैं। ऐसा ही मामला लखनऊ से सामने आया है। जहां पीजीआई की महिला डॉक्टर रुचिका टंडन को मनी लॉन्ड्रिंग और नेशनल सिक्योरिटी का डर दिखाकर ठगों ने नया फोन खरीदने को मजबूर कर दिया। फिर उसके जरिए करोड़ों रुपये सरकारी खाता बताकर अपने अकाउंट में डलवा लिया।
डॉ. रुचिका टंडन ने न्यूज एजेंसी को बताया कि मुझे एक सुबह कॉल आया कि मैं ट्राइ (TRAI) से बोल रहा हूं। मुझे कहा गया कि आपका फोन बंद कर दिया जाएगा। हमें पुलिस ने निर्देश दिया है कि उस फोन को बंद कर दिया जाए। क्योंकि उस पर मुंबई में साइबर क्राइम में बहुत सारी शिकायतें आपके फोन नंबर के खिलाफ दर्ज हैं। आपके नंबर से बहुत से लोगों परेशान करने वाले मैसेज आ रहे हैं।
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डॉक्टर ने आगे बताया कि साइबर ठग ने उन्हें कहा कि आपके जितने भी नंबर हैं, उसे भी ट्रेस करके बंद कर देंगे। इस पर मैंने कहा कि ऐसा तो हो नहीं सकता। क्योंकि मेरे पास ही ऐसे कॉल आ रहे थे कुछ समय से। इस पर उन्होंने कहा कि शायद आपको किसी ने फंसाया होगा। लेकिन आपके नंबर से ही ऐसे कॉल दूसरों को किये गए हैं। इसके बाद उन्होंने कहा कि हमारे एक आईपीएस अफसर हैं, उनसे बात कर लीजिए। इसके बाद उन्होंने कॉल ट्रांसफर कर दिया।
डॉक्टर के मुताबिक, फिर उनके जो सो कॉल्ड आईपीएस अफसर थे, उन्होंने बात की। उसने कहा कि सिर्फ फोन कॉल की बात नहीं है। आपका एक बैंक अकाउंट है, जो अवैध कामों से जुड़ा हुआ है। वह खाता सात करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग मामले से जुड़ा है। एक और ऐसा ही केस है आपके खिलाफ। हमें निर्देश मिला है कि आपको तुरंत गिरफ्तार किया जाए।
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फिर आईपीएस अफसर बने उस ठग ने रुचिका से कहा कि अगर आप नहीं आ सकती हैं तो हम आपको डिजिटल कस्टडी में लेंगे। डॉक्टर ने आगे कहा कि इसके बाद उन्होंने अपने किसी सीबीआई अफसर से बात कराई। उनलोगों ने यह भी बताया कि आप इस मामले को किसी को बता नहीं सकते हैं, क्योंकि यह नेशनल सिक्योरिटी का मामला है। अगर आप इस बारे में किसी को बताते हैं तो इसमें भी आपको दस साल की सजा हो सकती है।
उस सीबीआई अफसर ने कहा कि अब आपका डिजिटली केस चलेगा। रुचिका ने बताया कि फिर उन्होंने सात दिनों तक केस चलाया। इसमें एक जज भी थे, सीबीआई अफसर और आईपीएस अफसर भी थे। इन लोगों ने एक नया फोन खरीदवाया। इसके बाद स्काइप और व्हाट्स एप के जरिए मुझे कनेक्ट रखा था। फिर कहा कि आपको वेरिफिकेशन के लिए आपके जितने भी अकाउंट में पैसा है, उसे डिक्लीयर करना है। फिर उसे सरकारी अकाउंट में ट्रांसफर करना है।
डॉक्टर रुचिका के मुताबिक, उनका कहना था कि वेरिफिकेशन में अगर यह पता चल जाता है कि आपने मनी लॉन्ड्रिंग नहीं की है तो आपका पैसा मिल जाएगा और गड़बड़ी पाई गई तो पैसा वापस नहीं होगा। सात दिनों तक डिजिटली जो सुनवाई हो रही थी, तो सभी अफसरों और जज ने अपने आईडी दिखाए थे। उन पर सीबीआई का लोगो भी था।
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