मुंबई.. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी और हाल में ही राजनीति में इंट्री करने वाली कल्पना सोरेन को विपक्षी नेताओं के इतने बड़े नेताओं के साथ मंच साझा करने का ना सिर्फ मौका मिला बल्कि अपनी पॉलिटिकल लॉन्चिंग भी कर दी । उन्होंने साबित कर दिया कि वो पॉलिटिकल गेम की बारहवीं खिलाड़ी नहीं बल्कि ओपनिंग बल्लेबाज है और आने वाले दिनों में झारखंड की सियासत में बीजेपी के लिए इस खिलाड़ी को पवेलिनय भेजना आसान नहीं होगा । दरअसल लोकतांत्रिक राजनीति में सबसे जरुरी चीज है भाषण देने की कला जिसकी कमी कल्पना सोरेन में बिल्कुल नहीं दिखी । देश के लगभग सभी राज्यों से विपक्षी दलों के नेताओं के सामने कल्पना सोरेन ने लगभग छह मिनट का जो भाषण दिया उसमें कॉन्फिडेंस की कमी बिल्कुल नहीं दिखी । उ्न्हें राहुल गांधी से दो वक्ताओं शरद पवार और उद्धव ठाकरे से पहले बोलने का मौका देकर ‘INDIA’ गठबंधन ने आदिवासी वोट बैंक को ना सिर्फ आकर्षित करने की कोशिश की बल्कि हेमंत सोरेन के खिलाफ ईढी की कार्रवाई का भी राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश की ।
झारखंडी लिबास में मंच पर मौजूद कल्पना सोरेन ने हेमंत सोरेन की कमी खलने नहीं दी । उन्होंने कहा कि झारखंड तानाशाही शक्ति के खिलाफ झुकेगा नहीं । उन्होंने मुख्यमंत्री चंपई सोरेन का जिक्र करते हुए झारखंड में दलितों-आदिवासियों-पिछड़ों के लिए चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं की तारीफ की । कल्पना सोरेन ने कहा कि आने वाले दिनों झारखंड की सरकार कई और इसी तरह की योजनाएं लाने जा रही है । कल्पना सोरेन ने अपने ससुर दिशोम गुरु शिबू सोरेन का जिक्र करते हुए दावा किया कि
ससुर शिबू सोरेन जी ने महाजनों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी और आज हेमंत सोरेन जी भी उसी लड़ाई को लड़ते लड़ते जेल के अंदर चले गए। आने वाला वक्त ये दिखा देगा कि अब झारखंड में भाजपा का कमल कभी नहीं खिलेगा, वहां अगर रहेगा तो महागठबंधन की सरकार रहेगी।
लगभग छह मिनट के भाषण में कल्पना सोरेन कभीं भी ना तो नर्वस दिखी और ना ही जुबान पर शब्दों की कमी नजर आई । उन्होंने पूरे आत्मविश्वास के साथ बड़े -बड़े विपक्षी नेताओं के सामने मौजूदगी दर्ज कराते हुए एहसास करा दिया कि राजनीति में कल्पना अब हकीकत बन चुकी है और झारखंड के दिग्गज नेतओं में कल्पना सोरेन की भी गिनती होने वाली है ।