क्या कभी आपने सुना है किसी का नाम गाने की एक धुन है? जी हां, ऐसी एक जगह है और वो भारत में ही है। वह जगह मेघालय में है। ईस्ट खासी हिल्स जिले का हैमलेट ऑफ कोंगथांग गांव ‘व्हिसलिंग विलेज’ कहा जाता है। इस गांव में लोग अपना नाम बोलते नहीं, बल्कि गाते हैं। यहां पर लोग एक-दूसरे से बात करने के लिए खास तरह की धुन गुनगुनाते हैं।
इसका वीडियो भी सामने आया है, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। ट्रैवेल कंटेंट क्रिएटर नेहा राणा हाल ही में कोंगथोंग गांव पहुंची थीं। इस दौरान उन्होंने गांव की इस मेलोडियस ट्रेडिशन का अनुभव लिया। नेहा ने इंस्टाग्राम पर इसका वीडियो शेयर किया है। उन्होंने वीडियो के कैप्शन में लिखा है कि क्या आप लोगों ने कोंगथोंग का नाम सुना है? यहां पर हर किसी की खुद की स्पेशल ट्यून है। यह पीढ़ियों से चला आ रहा है। उन्होंने कहाकि यहां पर रहना ऐसा है जैसे किसी म्यूजिकल दुनिया में आ गए हैं।
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यहां पर नेहा जिस किसी से भी मिलती हैं वह अपना नाम गुनगुनाते हुए उन्हें अपना परिचय दे रहा था। दिलचस्प बात यह है कि इस गांव में करीब 700 लोग रहते हैं, लेकिन दो लोगों का नाम एक जैसा नहीं है। नेहा ने लिखा है कि कोंगथोंग में आना किसी वरदान से कम नहीं है। उन्होंने लिखा कि अगर आप कभी मेघालय में हैं, तो इस गांव में पहुंचें। यह उतना ही जादुई है जितना लगता है।
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व्हिसलिंग लोरी नाम की इस अनूठी परंपरा के पीछे, अपने अजन्मे बच्चे के लिए एक मां का प्यार है। गांव में गर्भवती महिलाएं प्रकृति से प्रेरित एक छोटा राग रचती हैं और यह बच्चे की पहचान बन जाती है। जब बच्चा पैदा होता है, तो मां उन्हें धुन पेश करती है और जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, वे सीखते हैं कि यह उनकी अनूठी ध्वनि है। धुनें जटिल हो सकती हैं और एक मिनट तक चल सकती हैं।
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