रांचीः झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को राहत नहीं मिली है। हाई कोर्ट ने ईडी की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है। हेमंत सोरेन ने अपनी गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इस मामले में अदालत में सुनवाई पूरी होने के बाद 28 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। बता दे कि इसी मामले में हेमंत सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर हाई कोर्ट से फैसला नहीं आने का मुद्दा उठाया था। हांलाकि कोर्ट ने छह मई को हेमंत सोरेन को उनके चाचा के श्राद्ध कार्यक्रम में शामिल होने की इजाजत दे दी है ।
Kalpna Soren Interview
ED का Hemant Soren पर आरोप
प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि 16 अगस्त को अंचलाधिकारी बड़गाईं को राजकुमार पाहन द्वारा उनकी जमीन पर कब्जे की शिकायत के बाद आनन-फानन में 29 जनवरी 2024 को एसएआर कोर्ट ने अंतिम रूप से राजकुमार पाहन को उक्त जमीन का मालिकाना हक दे दिया। यह मालिकाना हक भी उन्हें दिल्ली में हेमंत सोरेन के आवास पर ईडी की छापेमारी के बाद दिया गया। पहले समन के बाद ही तत्कालीन सीएम हेमंत सोरेन ने अपने पावर का उपयोग करते हुए इस केस से संबंधित साक्ष्य को नष्ट करने की कोशिश की है। पूछताछ के लिए हेमंत सोरेन को 10 समन जारी किया था, जिसमें से वह मात्र दो समन में ही ईडी के समक्ष उपस्थित हुए थे।
पहले भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका हुई थी दायर
झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) नेता ने कथित भूमि घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार होने से पहले 31 जनवरी की शाम को शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। उनकी गिरफ्तारी राज्य के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के कुछ मिनट बाद हुई। इस याचिका में उन्होंने इस आधार पर गिरफ्तारी से सुरक्षा मांगी थी कि ईडी की कार्रवाई अवैध और राजनीतिक विचारों से प्रेरित थी।
झारखंड हाईकोर्ट में जमानत याचिका
जब शीर्ष अदालत ने 2 फरवरी को उनकी याचिका पर सुनवाई की, तो पहले सोरेन की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया और इसके बजाय उन्हें झारखंड उच्च न्यायालय में मामला दायर करने का निर्देश दिया। हेमंत सोरेन ने उच्च न्यायालय के समक्ष भी अलग से एक याचिका दायर की है, अदालत ने उनसे राज्य में अपने मामले को आगे बढ़ाने के लिए कहा, लेकिन उच्च न्यायालय द्वारा निर्णय के लिए समय सीमा निर्धारित करने से इनकार कर दिया।
फर्जी रिकॉर्ड बना कर जमीन खरीदने का आरोप
ईडी ने दावा किया है कि उसके पास इस बात के सबूत हैं कि झामुमो नेता रांची में कथित भूमि संबंधी अनियमितताओं में मुख्य लाभार्थी हैं, जहां दलालों और व्यापारियों का एक नेटवर्क कथित तौर पर रजिस्ट्रार कार्यालयों में फर्जी रिकॉर्ड बनाकर जमीन के पार्सल के फर्जी दस्तावेज तैयार करने के लिए वर्षों से काम कर रहा था। और आगे उन्हें बेच रहे हैं।
अमित अग्रवाल की गिरफ्तार के बाद कई खुलासे
माना जाता कि पिछले साल 7 जून को ईडी द्वारा गिरफ्तार किए गए कोलकाता के व्यवसायी अमित कुमार अग्रवाल के बयान की वजह से हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी हुई । अग्रवाल पर झारखंड के कई नेताओं के फंड हैंडलर होने का आरोप है । ईडी ने 12 जून, 2023 को कथित भूमि घोटाले में पहले ही आरोप पत्र दायर कर दिया है, जिसमें अमित अग्रवाल, भारतीय प्रशासनिक अधिकारी (आईएएस) छवि रंजन और आठ अन्य व्यक्तियों – दिलीप कुमार घोष (अग्रवाल के करीबी सहयोगी), प्रदीप बागची, को नामित किया गया है। अफसर अली (जमीन संपत्तियों पर फर्जी दस्तावेज बनाने वाला कथित सरगना), मोहम्मद सद्दाम हुसैन, इम्तियाज अहमद, तल्हा खान, फैयाज अहमद, भानु प्रताप प्रसाद भी गिरफ्तार हैं।
हेमंत सोरेन को ED ने किया है गिरफ्तार
गौरतबल है कि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को प्रवर्तन निदेशालय ने इक्कत्तीस जनवरी को रांची से उनके ही आवास से गिरफ्तार कर लिया था । उन पर अवैध तरीके से जमीन खरीदने का आरोप है । पीएमएलए कोर्ट में ईडी उनके खिलाफ चार्जशीट दायर कर चुकी है ।