रांची : हजारीबाग लोकसभा सीट पर बीजेपी द्वारा नया उम्मीदवार दिये जाने के बाद पूरे लोकसभा सीट पर समीकरण बदल गए है। अबतक इस सीट पर यशवंत सिन्हा और उनके बेटे जयंत सिन्हा का कब्जा रहा है, लेकिन बीजेपी ने जयंत सिन्हा की जगह हजारीबाग सदर विधायक मनीष जायसवाल को अपना उम्मीदवार बनाया।
जयंत सिन्हा के टिकट कटने और सक्रिय राजनीति से सन्यास के बाद यशवंत सिन्हा नाराज बताये जा रहे है, अपने बेटे को टिकट से बेदखल किये जाने का दर्द यशवंत सिन्हा से झेला नहीं जा रहा है। उनके समर्थक और कार्यकर्ता लगातार उनपर चुनाव लड़ने के दवाब बना रहे है।
पांच मार्च को बड़कागांव से कांग्रेस विधायक अंबा प्रसाद ने यशवंत सिन्हा से उनके आवास पर जाकर मुलाकात की थी और लोकसभा चुनाव को लेकर उनसे चर्चा की थी। तो दूसरी ओर बीजेपी उम्मीदवार मनीष जायसवाल ने आठ मार्च को अपने जन्मदिन के मौके पर वर्तमान सांसद जयंत सिन्हा से मुलाकात की और समर्थन मांगा, जयंत ने भी अपनी ओर से मनीष जायसवाल को शुभकामना दी।
अब बात इन मुलाकातों के मायने समझने की है। एक तरफ अंबा हजारीबाग से लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में है, उन्होने इस संबंध में ही यशवंत सिन्हा से मुलाकात की थी, अंबा ने यशवंत सिन्हा के चुनाव नहीं लड़ने पर उनसे अपने लिए समर्थन मांगा। कांग्रेस की ओर से उम्मीदवार रहे पूर्व विधायक सौरभ नारायण सिंह इस बार चुनाव नहीं लड़ना चाहते है। उनके मना करने के बाद कांग्रेस अपने लिए नया उम्मीदवार तलाश रही है। माना जा रहा है कि अगर यशवंत सिन्हा चुनाव मैदान में आये तो कांग्रेस उनको समर्थन कर सकती है या फिर अपना उम्मीदवार बना सकती है। अगर यशवंत सिन्हा चुनाव नहीं लड़ेंगे तो अंबा उनका समर्थन चाहती है।
हजारीबाग की राजनीति को नजदीक से समझने वाले राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यशवंत सिन्हा और जयंत सिन्हा दोनों इस बार चुनाव मैदान से बाहर है ऐसे में ये परिवार खुलकर नहीं बल्कि पीछे से बीजेपी उम्मीदवार को चुनौती देने वाले उम्मीदवार को समर्थन दे सकती है। मनीष जायसवाल की जयंत सिन्हा से मुलाकात इसी डैमेज कंट्रोल की नीति के तहत हुई है। मनीष जायसवाल चाहते है कि सिन्हा परिवार उनके खिलाफ नहीं आये, अगर सिन्हा परिवार का उन्हे समर्थन नहीं मिला तो उनकी डगर कठिन हो सकती है, इसलिए मनीष जायसवाल ने जयंत सिन्हा से खुलकर समर्थन मांगा और जयंत ने भी ऑन कैमरा समर्थन देने का भरोसा दिया। लेकिन अंदरखाने में सिन्हा परिवार किसी भी तरह से अपने पारंपरिक पारिवारिक सीट को दूसरे जगह शिफ्ट होने देना नहीं चाहता। राजनीति जानकार बताते है कि जयंत सिन्हा बीजेपी में रहते हुए और यशवंत सिन्हा भीष्म पितामह बनकर हजारीबाग की राजनीति को अपने अनुकूल रखने की तैयारी में है।
हजारीबाग को लेकर वेट एंड वॉच की स्थिति में सिन्हा परिवार, जयंत से मनीष और यशवंत से अंबा की मुलाकात के मायने समझिये

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