धनबाद…सिंदरी में फिर से रौनक लौटेगी । भारत में मदर्स ऑफ ऑल फैक्टरी यानि सिंदरी खाद कारखाने का पुराना गौरव गान एक बार फिर सुनाए देगा । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 मई 2018 को बंद पड़े सिंदरी खाद कारखाने का शिलान्यास किया था और अब एक मार्च को इसका उद्घाटन है । लगभग छह सालों बाद देश का सबसे बड़ा खाद कारखाना फिर से आबाद हो रहा है । जिस चलती हुई सिंदरी फर्टीलाइजर फैक्टरी को एक स्वीच के जरिए बंद कर दिया गया था उसकी विरानगी अब दूर हो चुकी है । मरता हुआ शहर जिंदा हो चुका है , कॉलोनियों में रौनक है, पुराने इंजीनियर्स, कामगारों के चेहरों पर उम्मीद की लौ साफ देखी जा सकती है ।
सिंदरी खाद कारखाना घाटे में नहीं चल रही थी
इस फैक्टरी की बदहाली के लिए कौन जिम्मेदार था यह तो बीते वक्त की बात हो चुकी है मगर इतिहास की गलतियों से सीखना जरुरी है इसलिए पाठकों को यह बताना जरूरी हो जाता है कि आखिर किन परिस्थियों में इस फैक्टरी को बंद करना पड़ा था, क्या वाकई में सिंदरी खाद कारखाने में जब काम रोका गया तब बहुत सारी गड़बड़ियां थीं और भारी नुकसान हो रहा था ? कहा जाता है कि जिस दिन सिंदरी खाद कारखाने के गेट पर बाहर ताला लगा उस दिन का उत्पादन भी रिकॉर्ड स्तर का था ।जिस दिन फैक्टरी में ताला लगा उस दिन ग्यारह सौ टन यूरिया का उत्पादन किया गया था । कहा तो ये भी जाता है कि सिंदरी प्लांट घाटे में नहीं थी बल्कि फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन की दूसरी यूनिट जिनमें गोरखपुर,तालचर,रामगुंडा,जोधपुर और कोरबा की यूनिय घाटे में थी । पुराने इंजीनियर्स और प्रबंधकों के मुताबिक लेबर यूनियन और दिल्ली से आए अधिकारियों के बीच हुई तनातनी ने सिंदरी की तिलांजलि ले ली ।
2015 में मोदी कैबिनेट का फैसला
बहरहाल मोदी सरकार ने 21 मई 2015 को बंद पड़े सिंदरी खाद कारखाने को पुनर्जिवित करने के लिए 10,500 करोड़ रुपए की कैबिनेट से मंजूरी ली थी जिसका शिलान्यास तीन साल बाद 25 मई 2018 को किया गया । इस कारखाने की कबाड़ की कीमत भी सैकड़ों करोड़ में लगाई गई थी और आमोनिया टैंक को काटने के लिए विशेषज्ञ इंजीनियर्स को महीनों लग गए थे ।
बंगाल के आकाल से निकली सिंदरी फैक्टरी
पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने सिंदरी खाद कारखाने को आधुनिक भारत का मंदिर कहते हुए 1952 मार्च में उद्घाटन किया था । हांलाकि यहां आमोनियम नाइट्रेट का प्रोडक्शन सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती 31 अक्टूबर 1951 को शुरु हो चुका था । सिंदरी खाद कारखाना भारत सरकार का पहला सार्वजनिक उपक्रम था । इसकी जमीन भी भारत के राष्ट्रपति के नाम पर है ।
सिंदरी खाद कारखाने की जरुरत 1943 के बंगाल के भीषण आकाल के बाद पड़ी, भारत सरकार की फूड ग्रेन पॉलिसी कमिटी ने सिंदरी फर्टिलाइजर प्रोजेक्ट की नींव रखी । आजादी के बाद इसमें उत्पादन शुरु हुआ तो भारत के किसानों को इससे बड़ी मदद मिली, देश का अनाज भंडार आकाल जैसी स्थितियों से लड़ने लायक बना ।
1961 में सिंदरी फर्टिलाइजर एंड केमिकल लिमिटेड और हिन्दुस्तान केमिकल एंड फर्टिलाइजर लिमिटेड को मिलाकर फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया यानि FCIL बना दिया गया । 1978 में में FCIL ने कई कंपनियां FCI,HFC,RCF,NFL, और PDIL का निर्माण हुआ ।
नए दौर की नई कहानी
खैर 2002 से 2024 के बीच दामोदर में न जाने कितना पानी बह चुका होगा । एक बार फिर इस नदी घाटी में नई रोशनी नजर आई है । बंद होने के बाद किसी चीज को शुरु करना अपने आप में बड़ी उपलब्धि है । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी HURL को राष्ट्र को सौंप रहे हैं । उम्मीद यही की जानी चाहिए कि नए दौर में नई कहानी लिखी जाएगी । आखिर सुनील दत्त की फिल्म ‘हम हिन्दुस्तानी ’ जिसे धनबाद के पंचेत डैम के किनारे फिल्माया गया था में वो गीत भी तो खूब लोकप्रिय हुआ था छोड़ो कल की बातें, कल की बात पुरानीनए दौर में लिखेंगे मिलकर नई कहानी…
विवेक सिन्हा