रांची: विधानसभा चुनाव में बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्ा भले ही न चला हो लेकिन बीजेपी इस मुद्दे के सहारे ही अपनी आगे की राजनीति करना चाह रही है। जेएमएम को चुनौती देने के लिए बीजेपी संथाल से बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे को एक बार फिर हवा देने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन की यात्रा के माध्यम से अपने एजेंडे को जनता के सामने लाना चाह रही है।
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आदिवासियों के अस्तित्व पर मंडराते खतरे को एजेंडा बनाकर बीजेपी 22 दिसंबर से संथाल में अपने कार्यक्रम की शुरूआत कर रही है। चंपाई सोरेन अमर शहीद सिदो कान्हू की शहादत स्थल भोगनाडीह से इस यात्रा की शुरूआत करने जा रहे है। इस यात्रा को लेकर चंपाई सोरेन ने कहा कि 22 दिसंबर 1855 को संथाल का स्थापना दिवस है, उसी दिन वो अपनी यात्रा की शुरूआत करेंगे। वो संथाली समाज को बताएंगे कि उनकी पहचान समाप्त की जा रही है।
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चंपाई सोरेन ने आगे कहा कि न सिर्फ संथाल बल्कि कोल्हान और राज्य के कई इलाकों में आदिवासियों की पहचान और उनकी अस्मिता खतरे में है। सरायकेला के गोपाली बांधगोड़ा का जिक्र करते हुए भाजपा विधायक चंपाई सोरेन कहा कि वहां पर पहले 150 परिवार आदिवासियों के और 200 महतो परिवार के रहते थे, मगर आज वहां आदिवासी परिवार खोजे से भी नहीं मिलेगा। सवाल यह है कि वहां से सब आदिवासी परिवार कहां चले गए।