रांची: शुक्रवार को सीबीआई की विशेष अदालत ने सीसीएल में फर्जी तरीके से नौकरी देने के मामले में तत्कालीन जीएम हरिद्वार सिंह और उनके बेटे समेत 22 लोगों को दोषी मानते हुए तीन-तीन साल की सजा सुनाई।कोर्ट ने 29 साल के बाद इस मामले में सजा सुनाया है। हरिद्वार सिंह पर 58 हजार और अन्य अभियुक्तों पर 8-8 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। इस मामले ने सीबीआई ने तीन को सरकारी गवाह बनाया था और एक का केस बंद किया था।
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CBI ने 1998 में दर्ज की थी प्राथमिकी
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1998 में पिपरवार क्षेत्र में जमीन अधिग्रहण के बाद मूल रैयतो की जगह फर्जी दस्तावेज पर सीसीएल में नौकरी देने के मामले में सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज की थी। इस मामले में रांची सीसीएल के तत्कालीन सीनियर पर्सनल ऑफिसर की मिलीभगत से 28 ऐसे लोगों को सीसीएल में नौकरी दी गई थी जिनके जमीन का अधिग्रहण ही नहीं हुआ था। 1995 में 18 लोगों को नौकरी दी गई, 1996 में 10 लोगों को नौकरी दी गई, फर्जी कागजात के आधार पर कुल 28 लोगों को नौकरी दी गई थी। इस फर्जीवाड़ा का खुलासा तक हुआ जब असली हकदार 1998 में नौकरी मांगने आया। सीबीआई ने इस मामले में 18 अगस्त 1998 को प्राथमिकी दर्ज की थी, तीन मई 2003 को सीबीआई ने इस मामले में चार्जशीट दायर की थी।