रांची : बुधवार को कांग्रेस मीडिया इंचार्ज पवन खेड़ा ने सोशल मीडिया पर जानकारी दी कि बीजेपी विधायक जेपी पटेल और पूर्व मंत्री एवं प्रदेश उपाध्यक्ष राज पालीवाल बीजेपी छोड़ कांग्रेस की सदस्यता लेने वाले है। दिल्ली में मांडू विधायक जेपी पटेल ने तो कांग्रेस ज्वाइन कर लिया लेकिन वहां राज पालीवाल नजर नहीं आये। दिन भर राज पालीवाल को लेकर सस्पेंस बना रहा है। एक तरफ राज पालीवाल की चुप्पी तो दूसरी ओर ये कहा जाने लगा कि राज पालीवाल शायद कुछ दिनों बाद कांग्रेस में शामिल हो सकते है।
बुधवार शाम राज पालीवाल ने पवन खेड़ा के दावों को गलत बताते हुए छवि खराब करने की कोशिश बताया। आखिर राज पालीवाल ने कांग्रेस को न कहा या फिर कांग्रेस की ओर से राज पालीवाल को न कह दिया गया। इसकी असली कहानी जानने के लिए राजनीति के कई किरदारों को समझना होगा और स्थिति का अध्यन करना होगा। दरअसल राज पालीवाल पिछले काफी समय से बीजेपी के अंदर राजनीतिक हासिये पर थे, मधुपुर में हुए उपचुनाव में भी बीजेपी ने उन्हे टिकट नहीं दिया था। गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे से उनके टकराव को उनको टिकट नहीं दिये जाने का कारण माना गया। हालांकि संघ का सपोर्ट राज पालीवाल को इस दौरान भी मिलता रहा तभी उन्हे पार्टी में प्रदेश उपाध्यक्ष का पद दिया गया था। अपने राजनीति भविष्य पर संकट मंडराते देख राज पालीवाल ने पाला बदलने का मुड बना लिया था, कांग्रेस में जाने को लेकर राज पालीवाल ने दिल्ली में कांग्रेस के कुछ शीर्ष नेताओं के साथ मुलाकात भी की।
गोड्डा लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने ब्राह्मण चेहरे को निशिकांत दुबे के खिलाफ मैदान में उतारने का मन बना लिया था, तभी प्रदेश कांग्रेस के नेताओं की ओर से राज पालीवाल के कांग्रेस उम्मीदवार बनाये जाने का विरोध होने लगा। कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव और दीपिका पांडे सिंह ने घोर आपत्ति जाहिर की। उन लोगों ने कहा कि अगर निशिकांत दुबे के खिलाफ किसी ब्राह्मण उम्मीदवार को ही मैदान में उतारना है तो फिर मंत्री बादल पत्रलेख को ही मैदान में क्यों नहीं उतारा जाता है। बादल पत्रलेख का विधानसभा क्षेत्र जरमुंडी गोड्डा लोकसभा क्षेत्र में ही आता है और उनपर किसी तरह का कोई आरोप भी नहीं है। उनकी क्षवि जमीन से जुड़े कार्यकर्ता और ईमानदार नेता की है। कांग्रेस नेताओं के दवाब के बीच राज पालीवाल को कांग्रेस में शामिल होने के बाद टिकट की गारंटी नहीं दी गई। इस बीच राज पालीवाल को बीजेपी और संघ की ओर से भी कई संदेश दिये गए। राजनीतिक मापतोल करने के बाद राज पालीवाल का मन डोलने लगा और उन्होने कांग्रेस में जाने का इरादा बदल दिया। उन्हे ये लगा कि कांग्रेस उन्हे लोकसभा का टिकट नहीं देगी तो उनकी राजनीति खत्म हो जाएगा, क्योकि गठबंधन के तहत उनके विधानसभा क्षेत्र मधुपुर से जेएमएम के हफीजुल हसन वर्तमान में विधायक है, वही दूसरी ओर जरमुंडी से कांग्रेस के बादल पत्रलेख विधायक है, ऐसे में उनकी चुनावी राजनीति पर संकट और बढ़ जाएगा। बीजेपी की ओर से मैसेज दिया गया कि उन्हे अगर मधुपुर से टिकट नहीं दिया गया तो जरमुंडी से उन्हे उम्मीदवार बनाया जा सकता है। बीजेपी और संघ के अंदर निशिकांत दुबे को ज्यादा पसंद नहीं करने वाले कई नेता चाहते थे कि निशिकांत से टकराव के कारण राज पालीवाल ने पाला ने बदले।ऐसे में राज पालीवाल ने बीजेपी में भी रहने का मन बना लिया और कांग्रेस को गच्चा दे दिया।