धनबादः दलबदल का मौसम है । कोई विकास के नाम पर कोई पारिवारिक कलह के नाम पर तो कोई टिकट के नाम पर इधर से उधर हो रहा है । झरिया से कांग्रेस की विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह भी पुराने पार्टी छोड़ मोदी के परिवार में शामिल हो अपने ‘उज्जवल’ भविष्य की तलाश में है । कांग्रेस में मन तो उनका कई महीनों से उब रहा था । याद कीजिए जब सत्ताधारी दल के विधायकों ने गिनती करके हेमंत के साथ होने का दावा किया था तो सबसे कमजोर आवाज पूर्णिमा नीरज सिंह की थी । बहरहाल सवाल ये है कि पूर्णिमा नीरज सिंह का बीजेपी में स्वागत होगा तो धनबाद के मशहूर और बदनाम सिंह मेंशन का क्या होगा । सिंह मेंशन यानि बीजेपी का घर , रघुकुल यानि कांग्रेस का परिवार । सिंह मेंशन और रघुकुल दोनों परिवार एक दूसरे के कट्टर दुश्मन । अब दोनों परिवारों के दरवाजे पर एक ही पार्टी का झंडा होगा तो धनबाद की सियासत की क्या तस्वीर होगी । क्या यह मुमकिन है जिस सिंह मेंशन ने सुरजदेव सिंह, कुंती सिंह औऱ संजीव सिंह जैसे नेताओं को चुन कर सदन में भेजा है वो रघुकुल की पूर्णिमा नीरज सिंह को बीजेपी में शामिल होना मंजूर कर लेगा । वो भी तब जब पूर्णिमा सिंह के पति नीरज सिंह की हत्या के आरोप में संजीव सिंह अभी तक जेल में कैद है । पूर्णिमा सिंह ने पति की हत्या के बाद उपजी साहनुभूति की बदौलत झरिया में बावन साल बाद कांग्रेस का झंडा लहरा कर रागिनी सिंह को मात दी थी ।
मगर राजनीति में सब मुमकिन है । पूर्णिमा नीरज सिंह का धीरे-धीरे धार्मिक आयोजन में जाना, अयोध्या में रामलला के दर्शन इस ओर इशारा है कि वो खुद को आने वाले चुनावी मौसम के मुताबिक ढाल रही है। फिर सवाल तो बढ़ा यह है कि सिंह मेंशन की मंजूरी के बिना बीजेपी पूर्णिमा नीरज सिंह को धनबाद में अपना चेहरा बना लेगी और क्या सिंह मेंशन की राजनीतिक ताकत अब इतनी बड़ी रह गई है कि वो बीजेपी पर किसी तरह का दवाब बना सके । इसका जवाब शायद नहीं में होगा क्योंकि रागिनी सिंह आउट ऑफ सीन है । पूर्णिमा नीरज सिंह झरिया में राजनीतिक-सामाजिक कार्यक्रमों में छाई रहती हैं औऱ सबसे बड़ी बात यह की झारखंड की बीजेपी भी अब पुरानी वाली बीजेपी नहीं रह चुकी है अब सबकुछ दिल्ली से चलता है । पशुपतिनाथ सिंह का दिन ढल चुका है औऱ धनबाद की सियासी आकाश पर पूर्णिमा का इंतजार है।