रांचीः नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने बुधवार को आईएएस अधिकारी विनय चौबे की गिरफ्तारी को लेकर प्रेस कांफ्रेंस किया। उन्होने कहा कि वो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को 3 साल पहले ही 19 अप्रैल 2022 में शराब घोटाले के मामले में चिट्ठी लिखी थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। विनय चौबे को इसलिए एसीबी ने गिरफ्तार किया है ताकि बड़े चेहरे बेनकाब नहीं हो। ईडी विनय चौबे को गिरफ्तार नहीं कर ले इसलिए एसीबी ने सोमवार को ही इस मामले में एफआईआर किया और उसी दिन उन्हे गिरफ्तार कर लिया।
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बाबूलाल मरांडी ने प्रेस कांफ्रेंस में एक चिट्ठी दिखाई जो उन्होने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को तीन साल पहले शराब घोटाले को लेकर लिखी थी। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर पोस्ट करते हुए पूरे मामले में लीपापोती का आरोप लगाया और कहा कि एसीबी का इस्तेमाल कर डैमेज कंट्रोल किया जा रहा है। उन्होने अपने पोस्ट में लिखा है कि जिस अधिकारी को ACB ने गिरफ़्तार किया है, वही अफसर पहले से ही ED की जांच में शामिल था। उसे कई बार समन भेजा गया। अब जब उसकी गवाही से “बड़े चेहरे” बेनकाब हो सकते थे उसे ACB ने पकड़ लिया।
ये गिरफ़्तारी दरअसल एक“pre-emptive strike” है, ताकि वो CBI या ED को सच्चाई न बता सके।
यह पहली बार नहीं हो रहा।
•मनोज और शैलेश—दोनों ED की चार्जशीट में गवाह।
बाद में ACB ने इन्हीं पर केस किया, छापा मारा, और डराने की कोशिश की:
“ED के सामने मत बोलो, नहीं तो तुम्हारे खिलाफ कार्रवाई होगी।”
•उमेश टोप्पो, राज लकड़ा और प्रवीण जयसवाल — ज़मीन घोटाले में ED के गवाह थे।
इनसे बयान बदलवाने की कोशिश हुई। नहीं बदले, तो जेल भेज दिए गए।
अब वही पैटर्न दोहराया जा रहा है।
ED की जांच छत्तीसगढ़ लिकर स्कैम में ज़ोरों पर है।
अगर ये अफसर खुलकर बोले तो झारखंड की कई VIP हस्तियाँ फंस सकती हैं।
इसलिए CBI/ED के पहुँचने से पहले ACB कार्रवाई कर रही है ताकि अफसर चुप रह जाए।
और मुख्यमंत्री@HemantSorenJMM कहते हैं उन्हें इस घोटाले की जानकारी नहीं थी?
मैंने खुद 19 अप्रैल को पत्र लिखकर मुख्यमंत्री को आगाह किया था:
•घोटाला तैयार हो रहा है
•कौन सी कंपनी टेंडर में हिस्सा लेगी
•किसे ठेका मिलेगा
सब कुछ विस्तार से बताया गया था।
अब मुख्यमंत्री कहें कि उन्हें कोई जानकारी नहीं थी ? ये तो जनता को भ्रमित करने की कोशिश है।
इस पूरे घटनाक्रम से 3 बातें साफ़ होती हैं:
1.ED/CBI से पहले ACB का इस्तेमाल एक “damage control” रणनीति है
2.झारखंड में एक संगठित प्रयास हो रहा है कि कोई भी गवाह सच्चाई न बोल पाए
3.मुख्यमंत्री इस साज़िश से या तो पूरी तरह वाक़िफ़ हैं — या फिर आँखें मूँदकर बैठे हैं
हमारी सीधी मांग है:
ED और CBI पहले से इस घोटाले की जांच कर रही हैं
फिर झारखंड में ACB की समानांतर जांच क्यों?
क्या बेहतर नहीं होगा कि:
•पूरा मामला CBI को सौंपा जाए
•ताकि एक ही एजेंसी निष्पक्ष रूप से जांच कर सके
•और कोई “बड़ा नाम” बच न पाए
झारखंड की जनता जवाब मांग रही है।
और अब इस साज़िश को चुपचाप देखने का वक्त नहीं है।
जिस अधिकारी को ACB ने गिरफ़्तार किया है, वही अफसर पहले से ही ED की जांच में शामिल था।
उसे कई बार समन भेजा गया। अब जब उसकी गवाही से “बड़े चेहरे” बेनकाब हो सकते थे उसे ACB ने पकड़ लिया।
ये गिरफ़्तारी दरअसल एक“pre-emptive strike” है, ताकि वो CBI या ED को सच्चाई न बता सके।
यह पहली… pic.twitter.com/tomMKVrP8h
— Babulal Marandi (@yourBabulal) May 21, 2025