गिरिडीहः झारखंड के वन विभाग ने ऐसे सिपाही भर्ती किए हैं जो हाथ से ही जेसीबी का काम लेते हैं । इन सिपाहियों की जुबान ही कानून है । ना नोटिस देते हैं और ना ही नापी करते । जिसका घर पसंद नहीं आया उसे देते हैं गिरा । ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि गिरिडीह के बगोदर में ऐसा ही मामला आया जहां तारा पांडेय का अबुआ आवास देखते-देखते गिरा दिया गया । झारखंड सरकार के वन विभाग के आरक्षियों ने महिलाओं की प्लीज.. प्लीज सुनी ना ही अबुआ आवास के सपने को पूरा होते देखना चाहा । आव ना ताव देखा और दीवार गिरा दिया । मामला तब संज्ञान में आया जब माले के पूर्व विधायक विनोद सिंह ने इसकी जांच की मांग की ।
विनोद सिंह ने जांच की मांग
माले के पूर्व विधायक ने सोशल मीडिया पर इस घटना का वीडियो पोस्ट किया जिसमें साफ-साफ देखा जा रहा है कि किस तरह दीवार को गिरा दिया गया । विनोद सिंह ने मांग की कि वन अधिकार पट्टा मिलना चाहिए था क्योंकि जहां अबुआ आवास बन रहा था उस जमीन पर परिवार दशकों से मिट्टी के मकान में रहता आया है इसी आधार पर अबुआ आवास आवंटित किया गया था । पूर्व विधायक ने इसकी जांच की मांग की है ।
अबुआ आवास को जबरन गिरा दिया
ये मामला बगोदर प्रखंड के खेतको गांव का है जहां अबुआ आवास योजना के अंतर्गत निर्माणाधीन मकान की दीवार को वन विभाग के कर्मियों द्वारा जबरन गिरा दिए जाने का मामला सामने आया है। इस संबंध में लाभुक तारा कुमारी पांडेय ने बगोदर बीडीओ और थाना में लिखित शिकायत दर्ज कराई है ।
पहली किस्त से दीवार खड़ी किया
तारा कुमारी ने बताया कि उन्हें अबुआ आवास की मंजूरी मिली थी और पहली किस्त के रूप में ₹30,000 की राशि प्राप्त हो चुकी थी। पुराने मिट्टी के मकान को तोड़कर नए मकान का निर्माण कार्य शुरू किया गया था, जो लिंटर तक पहुंच चुका था। इसी बीच बुधवार शाम दो वनकर्मी मौके पर पहुंचे और घर को वनभूमि पर बना बताकर दीवार गिरा दी।
ना नोटिस और ना ही मापी
लाभुक का आरोप है कि दीवार गिराने के दौरान उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया गया और न ही जमीन की मापी करवाई गई। उन्होंने बताया कि जिस भूमि पर मकान बन रहा था वह उनकी दादी सास को भूदान में मिली थी और तीन पीढ़ियों से वहीं रह रहे हैं। तारा कुमारी ने कहा कि उन्होंने कई बार विनती की कि दीवार न गिराई जाए क्योंकि निर्माण में काफी पैसा खर्च हुआ है, लेकिन वनकर्मियों ने उनकी एक न सुनी। इस पूरी घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है, जिसमें वनकर्मी बलपूर्वक दीवार गिराते दिखाई दे रहे हैं।
फॉरेस्टर ने माना मापी नहीं हुई
वनरक्षी आनंद प्रजापति और एक अन्य वनकर्मी पर यह आरोप लगाया गया है। वहीं, पूछे जाने पर प्रभारी फोरेस्टर डिलो रविदास ने स्वीकार किया कि जमीन की न मापी हुई है और न ही कोई नोटिस दिया गया था। उन्होंने इसे जांच का विषय बताया।तारा कुमारी के अनुसार, वनकर्मियों की इस कार्रवाई से उन्हें लगभग ₹1 लाख का नुकसान हुआ है। अब मामला प्रशासनिक कार्रवाई और जांच की मांग के साथ तूल पकड़ रहा है।