राजधानी रांची में अगले चार वर्ष में 400 करोड़ रुपए की लागत से होटल ताज बनेगा। इसके निर्माण को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और टाटा स्टील के सीईओ और एमडी टीवी नरेंद्रन की उपस्थिति में झारखंड मंत्रालय में एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। एमओयू नगर विकास एवं आवास विभाग एवं द टाटा इंटरप्राइजेज की अनुषंगी इकाई द इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड में बीच हुआ।
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मुख्यमंत्री ने कहा है कि राज्य में ताज होटल खोलने को लेकर वे पिछले कई सालों से प्रयासरत थे। इसके निर्माण में न सरकार और न ही टाटा ग्रुप की तरफ से कोई अड़चन आएगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि टाटा समूह से राज्य का जो रिश्ता सालों पुराना है, वह आगे भी इसी तरह बना रहे। सरकार का हमेशा से यह प्रयास रहेगा कि टाटा ग्रुप के साथ कदम से कदम मिलाकर चलते रहें। विभागीय सचिव अरवा राजकमल ने कहा है कि ताज होटल को अगले चार वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य है।
जनवरी 2024 में कैबिनेट की बैठक में इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड (आईएचसीएल) को ग्रेटर रांची डेवलपमेंट एजेंसी लिमिटेड के स्वामित्व में उपलब्ध भूखंडों में से छह एकड़ का प्लॉट देने पर सहमति बनी थी। एमओयू के दौरान नगर विकास मंत्री हफीजुल हसन, मुख्य सचिव एल. खियांग्ते, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव अविनाश कुमार, आईएचसीएल के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट (ऑपरेशन्स ) के. मोहन चंद्रन, वाइस प्रेसीडेंट (डेवलपमेंट) अनिका गुप्ता एवं वाइस प्रेसिडेंट, कॉरपोरेट अफेयर्स, टाटा स्टील चाणक्य चौधरी मौजूद थे।
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झारखंड के साथ संबंध सालों पुराना – नरेंद्रन
ताज होटल खोलने के राज्य सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए टीवी नरेंद्रन ने मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन कई सालों से रांची में ताज होटल खोले जाने को लेकर प्रयासरत थे। झारखंड का टाटा के संबंध नया नहीं है, बल्कि 100 सालों से भी पुराना है। यह देश का एक ऐसा राज्य है जहां टाटा ग्रुप पिछले कई सालों से माइनिंग से लेकर मैन्युफैक्चरिंग का काम कर रहा है।
झारखंड को मिलेगी वैश्विक पहचान – हेमंत
सीएम ने कहा कि ताज होटल बनने से पर्यटन विकास को बढ़ावा मिलेगा, जिससे झारखंड की वैश्विक पहचान बनेगी। वे राज्य में ऐसी व्यवस्था खड़ा करना चाहते हैं, जहां सभी की भागीदारी से झारखंड को नई पहचान मिल सके। सरकार बनने के साथ ही यहां के आंतरिक संसाधनों का बेहतर उपयोग कर प्रतिभाओं को तराशने का काम हो रहा है। यहां खनिज के अलावे अन्य कई संसाधन हैं, जो इस राज्य को आगे ले जाने के लिए काफी हैं। लेकिन दुर्भाग्य है कि राज्य बनने के बाद सही नीति नहीं बनने से विकास के सही पायदान को छू नहीं पाया। मजदूर प्रधान राज्य बन कर रह गया। हमारी सरकार राज्य में ही युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है।