पटना : बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर जो लगातार अपने बयानों को लेकर चर्चा और विवादों में रहते है, उन्होने अपने बयानों को लेकर मंगलवार को सफाई पत्र जारी किया। लेकिन अपने तर्को के बीच उन्होने अपने गठबंधन को ही फंसा दिया। राष्ट्रपति द्रोपद्री मुर्मू, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का उदाहरण देते देते ऐसे उलझ गए कि अपने गठबंधन वाली सरकार को ही कटघरे में खड़ा कर दिया।
राम मंदिर को लेकर दिये गए अपने ताजा बयान को लेकर बिहार में इंडिया गठबंधन के अंदर ही वो फंसते नजर आ रहे थे। जेडीयू की ओर से लगातार आरजेडी पर बड़बोले मंत्री के सफाई या माफिनामा का दवाब बन रहा था। इसी बीच मंगलवार को प्रोफेसर चंद्रशेखर ने पटना स्थित पार्टी कार्यालय में आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह से मुलाकात की। उन्हे अपने बयानों को लेकर संयम बरतने की चेतावनी दी गई और एक बयान जारी कर अपना पक्ष रखने को कहा गया।
पार्टी के दवाब को देखते हुए मंगलवार को शिक्षा मंत्री ने अपनी सफाई एक प्रेस रिलीज के माध्यम से दी। उसमें उन्होने सबसे पहले अपने आप को राम भक्त बताते हुए लिखा कि शबरी के झूठे बेर खाने वाले प्रभु श्रीराम का भक्त हूं। अपने बयान के सफाई में उन्होने सावित्री बाई फुले के वाक्य का उदाहरण देते हुए कहा कि साबित्री बाई ने कहा था कि मंदिर का मतलब मानसिक गुलामी का रास्ता, स्कूल का मतलब जीवन में प्रकाश का रास्ता, लेकिन मीडिया के अंदर इसे गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया, हमने सिर्फ सावित्री बाई फुले के वचन को दोहराया है।
इसके बाद शिक्षा मंत्री ने राष्ट्रपति द्रोपदी मुमू, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का जिक्र करते हुए कहा कि राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को दलित-आदिवासी होने की वजह से पुरी के जगरनाथ मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश नहीं करने दिया गया था, रामनाथ कोविंद के साथ भी जगरनाथ मंदिर में राष्ट्रपति रहते दुव्यवहार किया गया था। उसके बाद उन्होने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का जिक्र करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री रहते हुए जब वो मधुबनी के दुर्गा मंदिर गए थे तो उस मंदिर को मांझी के जाने के बाद गंगा जल से धोया गया। उस समय सांप्रदायिक नेताओं की बोली क्यों नहीं निकली थी। लेकिन मांझी का उदाहरण देकर शिक्षा मंत्री ने उस समय के अपने गठबंधन की सरकार को ही घेर लिया। उस समय बिहार में जेडीयू की सरकार थी जिसे आरजेडी और कांग्रेस का समर्थन था। मांझी के साथ हुए व्यवहार का जिक्र करते हुए चंद्रशेखर ने तत्कालीन सरकार जो इनकी पार्टी के समर्थन से चल रही थी उसके कार्यकलाप पर ही सवाल उठाती है।