रांचीः आर्थिक मामलों के जानकार सूर्यकांत शुक्ला का कहना है कि सरकारी पूंजीगत व्यय में आयी कमी के कारण चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही यानी अप्रैल-जून की अवधि में देश की विकास दर में गिरावट की आशंका बढ़ गयी है। जीडीपी की वृद्धि दर क्या रहेगी यह तो सही-सही 30 अगस्त को ही पता चलेगा जब सांख्यिकी कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय जीडीपी के आधिकारिक आंकड़ों को जारी करेगा।
अर्थव्यवस्था में गिरावट कितनी हुई इसका अंदाजा हमें तभी होगा जब यह मालूम रहे किपिछली तिमाहियों में जीडीपी की वृद्धि दर क्या रही थी। सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि यानी अप्रैल जून 2023 में 8.2 प्रतिशत रही थी। और यदि जस्ट पिछली तिमाही जनवरी मार्च 2024 की बात करें तो यह वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रिकार्ड की गयी थी ।
30 अगस्त को जारी होने वाले विकास दर के आंकड़ों से देश की अर्थव्यवस्था की सेहत का अंदाजा लगाना आसान हो जायेगा।
क्यों जीडीपी की वृद्धि दर में गिरावट की आशंका है? इसकी पहली और मुख्य वजह सरकारी पूंजीगत खर्च इस अवधि में सिर्फ 1.81 लाख करोड़ रुपए का होना है जबकि सालाना बजट में 11.11 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था। कम खर्च का कारण लोक सभा का आम चुनाव होना है। दूसरी वजह का आधार आरबीआई के उपभोक्ता विश्वास सूचकांक में दर्ज गिरावट है यानी उपभोक्ता खर्च करने की कमजोर स्थिति में है जो आरबीआई के ताजा सर्वेक्षण से पता चलता है ।
एसबीआई ईकोरैप का अनुमान 7.1 प्रतिशत की दर से वृद्धि का है जो आरबीआई की हालिया मौद्रिक नीति बैठक की रिपोर्ट से मेल खाता है। रिसर्च एजेंसी इक्रा का अनुमान तो बहुत कम 6 प्रतिशत की वृद्धि दर का है। घरेलू रिसर्च एजेंसी क्रिसिल का अनुमान 6.8 प्रतिशत का है। आर्थिकी के जानकारों के ताजा अनुमानों से यह बात लगभग तय है कि जीडीपी की ग्रोथ रेट पहले की तिमाहियों की तुलना में कम रहने वाली है ।
30 अगस्त को यह देखने की उत्सुकता रहेगी कि उपभोक्ता व्यय यानि कंजम्पशन के ग्रोथ में सुधार हुआ या नहीं। यदि कंजम्पशन में सुधार आता है तो हमारी अर्थव्यवस्था के लिये शुभ संकेत होगा। पूंजीगत खर्च में कमी का कारण यदि सिर्फ चुनाव है तो इसे हमे अस्थायी कारण मानेंगे जो ज्यादा चिंता का विषय नहीं होगा।