डेस्कः भारत के शहरों पर पाकिस्तान के मिसाइलें नाकाम हो रही हैं । ड्रोन से हमले नाकाम हो रहे हैं । इसके पीछे है रुसी S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम । जी हां युद्ध के हालात में कितना कामयाब है दुनिया का सबसे खतरनाक मिसाइल डिफेंस सिस्टम है S-400 ट्रायंफ मिसाइल डिफेंस सिस्टम । रूस से खरीदे गए अत्याधुनिक S-400 ट्रायंफ मिसाइल डिफेंस सिस्टम की तैनाती का असर दिखने लगा है । यह सिस्टम दुश्मन के लड़ाकू विमान, ड्रोन, क्रूज़ मिसाइल और यहां तक कि बैलिस्टिक मिसाइल को भी 400 किलोमीटर की रेंज में मार गिराने में सक्षम है।
क्या है S-400 मिसाइल सिस्टम?
S-400 ट्रायंफ, रूस द्वारा विकसित किया गया दुनिया का सबसे उन्नत लंबी दूरी का सतह से हवा में मार करने वाला मिसाइल डिफेंस सिस्टम है। इसमें एक साथ कई प्रकार की मिसाइलें होती हैं, जो अलग-अलग रेंज और ऊंचाई पर उड़ रहे लक्ष्यों को नष्ट करने में सक्षम हैं।
रुस ने दिया है S-400 ट्रायंफ
भारत और रूस के बीच 5.43 अरब डॉलर (लगभग 40,000 करोड़ रुपये) का समझौता 2018 में हुआ था। इसके तहत रूस को भारत को कुल 5 स्क्वाड्रन S-400 प्रणाली देनी है। भारत को पहला S-400 स्क्वाड्रन दिसंबर 2021 में मिला था, जिसे उत्तर भारत में तैनात किया गया है।
युद्घ में कितना है कामयाब S-400 ट्रायंफ
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S-400 की तैनाती से भारत की वायु रक्षा में बड़ा बदलाव आया है। यह सिस्टम पाकिस्तान और चीन की ओर से आने वाले संभावित हवाई खतरों को दूर करने में मददगार है।
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यह प्रणाली एक साथ 80 लक्ष्यों को ट्रैक कर सकती है और 36 लक्ष्यों पर एक साथ हमला कर सकती है।
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इसकी रडार प्रणाली 360 डिग्री कवरेज देती है और यह बेहद तेज गति से उड़ने वाली मिसाइलों को भी पकड़ सकती है।
चीन और पाकिस्तान को है खौफ
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की S-400 प्रणाली की तैनाती से चीन की वायु शक्ति को काफ़ी हद तक चुनौती मिलेगी, विशेषकर लद्दाख और अरुणाचल जैसे संवेदनशील इलाकों में। वहीं पाकिस्तान की सीमित हवाई क्षमता के सामने यह प्रणाली बहुत बड़ी बाधा बनकर खड़ी हो सकती है।
अमेरिका की चेतावनी और CAATSA
S-400 खरीद को लेकर अमेरिका ने भारत को CAATSA (Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act) के तहत प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी थी, क्योंकि यह प्रणाली रूस से खरीदी गई है। हालांकि, अमेरिका ने भारत को अब तक छूट दे रखी है, जो भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी की मजबूती को दर्शाता है।