2008 के मुंबई आतंकवादी हमले के आरोपी और पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा को जल्द ही अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित किया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार, राणा इस समय लॉस एंजेलिस के मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में बंद है और भारत लाकर उस पर मुकदमा चलाया जाएगा।
भारतीय एजेंसियों की एक संयुक्त टीम, जिसमें खुफिया विभाग के अधिकारी भी शामिल हैं, अमेरिका में प्रत्यर्पण से जुड़ी औपचारिकताएं पूरी करने के लिए मौजूद है। हाल ही में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने राणा की अपील को खारिज कर दिया, जिससे भारत को उसे लाने की कानूनी अनुमति मिल गई है।
सूत्रों का कहना है कि कागजी कार्यवाही पूरी होते ही राणा को गुरुवार सुबह तक भारत लाया जा सकता है। भारत पहुंचने के बाद उसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की हिरासत में रखा जाएगा, जो उससे पूछताछ करेगी। उसे दिल्ली या मुंबई की किसी उच्च सुरक्षा वाली जेल में रखा जा सकता है।
राणा पर पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का सक्रिय सदस्य होने का आरोप है। माना जाता है कि उसका पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और CIA से भी संपर्क रहा है। मुंबई हमलों में उसकी भूमिका को लेकर भारत कई वर्षों से उसके प्रत्यर्पण की मांग कर रहा था।
राणा ने 27 फरवरी 2025 को अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एलेना कगन के समक्ष “हैबियस कॉर्पस याचिका लंबित रहने तक प्रत्यर्पण पर रोक लगाने” के लिए एक आपातकालीन आवेदन दायर किया था, जिसे जस्टिस कगन ने मार्च में खारिज कर दिया। इसके बाद राणा ने यह याचिका चीफ जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स के समक्ष दोबारा दायर की, जिन्होंने इसे पूरे सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचार के लिए भेजा। 4 अप्रैल को कोर्ट में इस पर विचार हुआ और अंततः इस आवेदन को भी खारिज कर दिया गया।
राणा के वकीलों ने दावा किया था कि भारत प्रत्यर्पित किए जाने पर उसे यातना दिए जाने का खतरा है, खासकर क्योंकि वह पाकिस्तानी मूल का मुस्लिम है और मुंबई हमलों जैसे गंभीर आरोपों का सामना कर रहा है।
हालांकि, अमेरिकी न्यायपालिका ने इन दलीलों को खारिज कर दिया, जिससे भारत द्वारा उसे प्रत्यर्पित किए जाने का रास्ता साफ हो गया है।
तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण 26/11 मुंबई हमलों के पीड़ितों को न्याय दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है और यह भारत और अमेरिका के बीच आतंकवाद के खिलाफ सहयोग को और मजबूत करता है।