अयोध्या.जब पूरी दुनिया और यहाँ तक की गर्भगृह में मौजूद हर व्यक्ति भगवान राम की प्रतिमा का अलौकिक दर्शन कर रहा था तब एक शख़्स अपना चेहरा ढँक लेता है। वो उस वक्त ईश्वर को नहीं देखना चाहता । कौन है ये संत और ऐसा उन्होंने क्यों किया । इस तरह के सवाल हर उस राम भक्त के ज़ेहन में उठ रहे हैं जिन्होंने इन क्षणों को नोटिस किया।
सबसे पहले हम बताते उस संत के बारे में जिन्होंने अपना चेहरा ढंक लिया था। इस संत का नाम है उडुपी के पेशावर मठाधीश स्वामी विश्वप्रसन्ना तीर्थ । यदि आप रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को करीब से देख रहे होंगे, तो आपने देखा होगा कि कैसे उडुपी के पेजावर मठाधीश स्वामी विश्वप्रसन्न तीर्थ ने अनुष्ठान के दौरान एक समय अपना चेहरा ढक लिया था। यह तब था जब भगवान को नैवेद्य अर्पित किया जा रहा था।
जैसी की परंपरा है कि जो भोजन हम भगवान को अर्पित करते हैं वह गंदगी से अछूता होना चाहिए जिसमें हमारी अपनी इच्छाएं भी शामिल होती हैं, भले ही यह माना जाता है कि देवता इसे केवल सूक्ष्म रूप में ही ग्रहण करते हैं। भोजन को देखने से, खासकर जब हम उपवास कर रहे हों तो हमारे भीतर इच्छा पैदा हो सकती है। माधव संप्रदाय के संत कई अनुष्ठानों का सख्ती से पालन करते हैं और यह एक उदाहरण था। एक कन्नड़ टीवी चैनल पर स्वामी जी से पूछा गया कि क्या यह दक्षिण भारतीय रीति-रिवाज है? उन्होंने कहा कि नहीं, इसका पालन हर जगह करना होगा। नैवेद्य चढ़ाते समय आंखें बंद कर लेनी चाहिए। एक हिंदू के रूप में पूजा करने के बारे में बहुत सारे सूक्ष्म पहलू हैं
श्री पेजावर मठ, उडुपी के स्वर्गीय श्री विश्वेश तीर्थ स्वामीजी, राम जन्मभूमि आंदोलन के एक अग्रणी नेता थे , अभी भी लाखों लोगों के दिल और दिमाग में बने हुए हैं जिनके लिए वह हमेशा एक मार्गदर्शक प्रकाश थे। प्रधानमंत्री आवास में उन्होंने कुछ वर्षों पहले मुलाक़ात की थी।Sri Vishwaprasanna Tirtha Swamiji of Pejawar Matha,