रांची : राज्य में 28 जनवरी को हुई जेएसएससी सीजीएल पेपर लीक मामले में आउटसोर्सिंग कंपनी की भूमिका संदेह के घेरे में है। जेएसएससी ने इस संबंध में कार्मिक सचिव को पत्र लिखा है।
कार्मिक सचिव को लिखे गए पत्र में इस बात का संदेह जताया गया है कि एजेंसी का चयन जून 2023 में ही कर लिया गया था। आयोग के वर्तमान अध्यक्ष ने 27 सितंबर 2023 को अपना पद संभाला था।जेएसएससी का दावा है कि नए अध्यक्ष नीरज सिन्हा के पदभार लेने के बाद आउटसोर्सिंग एजेंसी के खिलाफ कई कार्रवाई की गई थी। आउटसोर्सिंग कंपनी से आयोग के किसी पदाधिकारी के मिलीभगत से आयोग ने इंकार किया है। इसे चरित्र हनन का प्रयास और आयोग की छवि धूमिल करने का प्रयास बताया गया है।
इस मामले में मंगलवार को मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के आदेश में एसआईटी का गठन किया गया। पेपर लीक मामले में एसआईटी गठन पर सवाल उठाते हुए बीजेपी अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि JSSC-CGL प्रश्न पत्र लीक का मामला बेहद संवेदनशील और संगीन है। इस पूरे घोटाले को हेमंत सोरेन के जानकारी में अंजाम दिया गया है। राज्य सरकार छात्रों के उपर एफआईआर दर्ज कर हेमंत के करीबियों को बचाने का प्रयास कर रही है। सरकार द्वारा एसआईटी जांच का आदेश मामले की लीपापोती करने का प्रयास है। इससे हास्यास्पद और क्या हो सकता है कि एक संस्था का चेयरमैन जो रिटायर्ड डीजीपी है, उसके संदिग्ध भूमिका की जांच डीएसपी स्तर का अधिकारी करे, जो उनके सामने खड़े होने से भी डरता हो! जब तक राज्य सरकार JSSC घोटाले की सीबीआई जांच की अनुशंसा नहीं करेगी, तब तक हम चैन से नहीं बैठेंगे।