रांची: झारखंड मुक्ति मोर्चा के दो विधायक बागी हो गए है। लोबिन हेम्ब्रम पहले से ही चुनाव लड़ने के लिए ताल ठोक रहे है। तो दूसरी ओर विधायक चमरा लिंडा ने लोहरदगा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए गुमला में नामांकन दाखिल कर दिया।बुधवार तक लोहरगा लोकसभा सीट से सिर्फ तीन नामांकन दाखिल हुआ है। बीजेपी के समीर उरांव, लोकहित अधिकार पार्टी के रामचंद्र भगत और निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चमरा लिंडा।
पिछली बार बहुत कम अंतर से हारे चमरा लिंडा की हुई थी हार
झारखंड में गठबंधन के तहत लोहरदगा की सीट कांग्रेस को दी गई है जहां से सुखदेव भगत कांग्रेस के उम्मीदवार है जो 25 अप्रैल को अपना नामांकन दाखिल करेंगे। चमरा लिंडा ने बागी होकर लोहरदगा से चुनाव लड़ने का फैसला किया और नामांकन बुधवार को दाखिल कर दिया। 2009 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान चमरा लिंडा निर्दलीय खड़े हुए थे और बीजेपी के सुदर्शन भगत से मात्र 8283 वोट से चुनाव हार गए थे। 2024 में हो रहे लोकसभा चुनाव के दौरान एक बार फिर चमरा मैदान में है। उनके चुनाव में खड़े होने से कई राजनीतिक समीकरण बदल सकते है।
Lohardaga सीट से समीर उरांव ने किया नामांकन, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और बाबूलाल मरांडी रहे मौजूद
लोबिन भी लड़ेंगे चुनाव
वही बोरिया से जेएमएम विधायक लोबिन हेम्ब्रम भी लगातार क्षेत्र में घूम रहे है उन्होने भी राजमहल सीट से चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है। जेएमएम उम्मीदवार विजय हांसदा के खिलाफ लोबिन ताल ठाकेंगे। एक बार तो उन्होने एनोस एक्का की पार्टी झारखंड पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने का एलान कर दिया था लेकिन बाद में इसपर चुप्पी साध ली। शाम प्रखंड के हाट पोखरिया में उन्होने लोगों के साथ बैठकर कर चुनाव लड़ने पर चर्चा की। उन्होने कहा कि वो शिबू सोरेन के असली चेले है इसलिए राजमहल सीट को बचाने की जिम्मेदारी उन्ही की है। लोबिन ने सांसद विजय हांसदा के खिलाफ जमकर भड़ास निकालते हुए कहा कि पिछले 10 वर्ष में एसपीटी एक्ट, पी पेसा एक्ट, स्थानीय नीति, स्थानीय नियोजन नीति, विस्थापित नीति, मजदूर पलायन सहित अन्य विभिन्न जन समस्या का समाधान करने का पहल तक नहीं किया। सांसद का चारों तरफ विरोध होने के बावजूद भी झामुमो के तरफ से टिकट दिया जाना कई सवाल खड़े कर रहा है।