Hemant Soren 2.0: झारखंड विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र सोमवार (8 जुलाई) को होना है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को विश्वास मत हासिल करना है। पक्ष और विपक्ष इसकी रणनीति को लेकर रविवार को देर रात तक बैठक करते रहे। सत्ता पक्ष की बैठक मुख्यमंत्री आवास में सीएम हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई। सत्तापक्ष के सभी विधायकों को 8 जुलाई सुबह 10 बजे तक झारखंड विधानसभा पहुंचने का निर्देश दिया गया है।
झामुमो-कांग्रेस ने जारी किया व्हिप
हालांकि सभी विधायकों को देर रात बैठक के बाद राजकीय अतिथिशाला में रोकने की भी तैयारी थी, लेकिन विधायकों ने कहा कि वे सभी समय पर पहुंच जाएंगे। बैठक में झामुमो और कांग्रेस की ओर से व्हिप भी जारी किया गया, ताकि पार्टी के सभी विधायक सरकार के पक्ष में मतदान कर सकें।
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विधायकों को क्या-क्या निर्देश
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सत्ता पक्ष के विधायकों को सदन में विश्वास मत के दौरान एकजुटता दिखाने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि सदन में विश्वास मत हासिल करने के तुरंत बाद राजभवन में शपथ ग्रहण होना है। तीन-चार महीने का समय बचा है। इसके लिए विधायकों से राय भी ली गई। जिन्हें मंत्री बनाया जाएगा, उन्हें सोमवार की सुबह सूचना दे दी जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि सदन में भाजपा के सवालों का जवाब देना है। किस प्रकार फंसाया गया और जेल भेजा गया।
सरकार अस्थिर करने की कोशिश की गई, लेकिन झारखंड में सब कुछ ठीक ठाक रहा। लोकसभा चुनाव में भी हमें आशानुरूप तो नहीं, लेकिन पिछले चुनाव से अच्छी सफलता मिली। सरकार के बचे समय में राज्य में चल रही योजनाओं को तेजी से मूर्त रूप देना है और लोगों को लाभांवित करना है। वहीं, युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराना है। जिनका रिजल्ट आ चुका है उन्हें नियुक्ति पत्र देना है, वहीं जो परीक्षाएं चल रही हैं पूरी होने के बाद जल्द से जल्द रिजल्ट देना है।
साथ ही, 2019 में हमारे घोषणा पत्र में से जो कुछ छूट रहा है, उसे भी पूरा करना है। इसमें सत्ता पक्ष के सभी दलों के मंत्री, विधायकों की बराबर जिम्मेदारी होगी। साथ ही, सरकार के कामों को जनता तक पहुंचाना है। बैठक में कांग्रेस के झारखंड प्रभारी गुलाम अहमद मीर, प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर समेत झामुमो, कांग्रेस, राजद व माले के विधायक मौजूद थे।
विधायकों ने पुराने मंत्रियों के काम पर जताई नाराजगी
महागठबंधन के घटक दलों के विधायकों ने पुराने मंत्रियों और उनके काम पर नाराजगी जताई। विधायकों ने सरकारी योजनाओं पर भी सवाल उठाए। विधायकों ने कहा कि योजनाएं तो शुरू हो जा रही हैं, लेकिन धरातल पर पूरी तरह उतर नहीं पा रही है। विधायकों ने एक स्वर में कहा कि मंत्री कोई भी बने, लेकिन विधायकों की बात सुनी जानी चाहिए। चुनावी साल है, जब क्षेत्र की समस्या दूर होगी और जनता का काम होगा, तभी वे वोट मांगने भी जा सकेंगे। ऐसे में कुछ पुराने मंत्रियों को दोबारा शपथ नहीं दिलाई जाए।