रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दुमका में झारखंड मुख्यमंत्री मईंया सम्मान योजना के कार्यक्रम के दौरान बड़ी घोषणा कर दी। उन्होने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली भी दे रही है। बिजली का पुराना बकाया होने से उसमें ब्याज भी जुड़ जाता है। आपकी सरकार पहले चरण में गरीबों का जो बकाया है, जो इनकम टैक्स पे नहीं करता है उसका सारा बकाया माफ करने का काम करेगी। बहुत जल्द इस पर आगे बढ़ेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम मोटा मोटी बिना कागज पत्तर देखे बात कह रहे है, हो सकता है इसमें कुछ बदलाव करना पड़े। हम लोग अभी 200 यूनिट मुफ्त बिजली दे रहे है, लेकिन थोड़ा बहुत अभी भी मर्रमररिंग है। अभी पीछे का बिजली बिल बांकी है, और उसमें इंट्रेस्ट भी जुड़ जाता है। अभी पहला चरण में हम यही करेंगे कि जीतना भी हमारा गरीब गुरबा का बकाया है, जो इनकम टैक्स नहीं देता है, उसका पहले चरण में सारा बकाया माफ करेंगे, बहुत जल्द हम इसपर बढ़ेंगे और जो मध्यवर्गीय है उसका भी आकलन करेंगे। पोकेट में जीतना रहेगा उतना ही चलेंगे भाई। एक हाथ से देना पड़ता है तो दूसरे हाथ से कमाना पड़ता है। आने वाले चरण में हम उनको भी शामिल करेंगे ताकि अधिक से अधिक इसका लाभ ले। इसके बाद सबके घर में जीरो रूपया का बिल जाएगा।
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इसके साथ ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विपक्ष पर जमकर हमला बोला। उन्होने कहा कि पूर्व में मुंह की खाने के बाद विपक्ष के लोग एक फिर से सरकार को तोड़ने में लगे हैं। पूर्व में इन लोगों ने पूरे देश के लोगों को बेवकूफ बनाने का काम किया। यह लोग हिंदू-मुस्लिम, सिख-इसाई कर समाज को तोड़ने की राजनीति करते रहे। परिणाम यह हुआ कि लोकसभा चुनाव में भगवान श्रीराम ने देश के चुनाव और अयोध्या में भाजपा को आईना दिखा दिया। हालत यह है कि आज केंद्र सरकार बैसाखी पर चलने को मजबूर है।
हम लोग वर्षों से कहते हुए आये हैं कि कैसे लेंगे अधिकार- लड़ कर लेंगे अधिकार! यही कारण रहा आज राज्य का 1 लाख 36 हजार करोड़ बकाया हमने मांगा है। यह लोग हमें अधिकार कैसे नहीं देंगे? खनिज हमारे खेत से निकलेगा और मुआवजा हमें नहीं मिलेगा? यह सब नहीं चलेगा। राज्य में खनन कंपनियों को स्थानीय लोगों को अधिकार देना होगा। नौकरी दो, मुआवजा दो, नहीं तो यहां से चले जाओ।
विपक्ष के लोग झूठे प्रचार में जुटे हैं, उनका कहना है कि 4 साल में क्या मिला। हम जानना चाहते हैं कि 4 साल में लाखों वृद्धजनों को पेंशन मिला कि नहीं? 20 साल तक डबल इंजन कहां थी? यहां के वृद्धजनों को तब पेंशन क्यों नहीं मिला? ये लोग 20 साल में मात्र 15 लाख जरूरतमंद लोगों को पेंशन दे रहे थे, लेकिन आपकी महागठबंधन सरकार ने आज के समय लगभग 40 लाख जरुरतमंद लोगों को पेंशन के अधिकार से जोड़ा है। पहले गांव में दो-चार लोग पेंशन योजना से जुड़े रहते थे। लेकिन अब सभी जरूरतमंद पेंशन योजना का लाभ ले रहे हैं। आपकी सरकार ने महिलाओं और एससी/एसटी वर्ग के लोगों को पेंशन देने की उम्र को भी 60 वर्ष से घटाकर 50 वर्ष किया है। राज्य के गरीब लोगों के लिए आवास उपलब्ध कराने की गुहार हम लोगों ने कई बार केंद्र सरकार के समक्ष लगाई, लेकिन उन्होंने हमारी एक नहीं सुनी। इसके बाद आपकी सरकार ने सर्वे कर 20 लाख लोगों को चिन्हित किया, जिन्हें आवास की जरूरत थी। जबकि केंद्र में बैठी सरकार ने सिर्फ कुछ लाख को आवास देने की बात कही थी। आने वाले 5 साल के अंदर ऐसा कोई गरीब नहीं रहेगा, जिसके पास अबुआ आवास नहीं होगा। हर साल लाखों लोगों का आवास स्वीकृत किया जा रहा है। राज्य गठन के बाद नौकरी देने के लिए कोई कानून ही नहीं बना था। आपकी सरकार ने विगत 4 साल में नियुक्ति नियमावलियों की अड़चनों को दूर कर हजारों नौकरियां दी। झारखण्ड के गरीब परिवार के युवाओं को हमने नौकरी देने का काम किया। जब हम नियुक्ति को लेकर कानून बनाते हैं तो हमारे विपक्षी कोर्ट में जाकर उसे चुनौती देते हैं। जब यहां के आदिवासियों-मूलवासियों को हम प्राथमिकता पर नौकरी देना चाहते हैं, तो विपक्षी नहीं चाहते हैं कि उन्हें नौकरी मिले। हमारे कानून को असंवैधानिक बताते हैं जबकि यही कानून भाजपा शासित राज्य में बने तो वह संवैधानिक हो जाता है। आने वाले समय में इसके लिए भी हम लड़ाई लड़ेंगे। बच्चों की छात्रवृत्ति में भी आपकी सरकार ने दो से तीन गुना बढ़ोत्तरी की, आज लाखों बच्चे छात्रवृत्ति का लाभ ले रहे हैं। शोषित और वंचित समाज के युवाओं को भी विदेश में उच्च शिक्षा के लिए सरकार सौ प्रतिशत स्कॉलरशिप दे रही है। निजी क्षेत्र में हजारों युवाओं को ऑफर लेटर दिया गया है, साथ ही स्थानीय युवाओं के लिए निजी उद्योग में 75% आरक्षण का कानून बनाया है। लेकिन यह विपक्ष को नहीं दिखता है। लोगों को हक़-अधिकार देने का काम जो अबुआ सरकार कर रही है, वह भाजपा ने न 20 वर्षों में कभी किया, न आने वाले 50 वर्षों में कभी कर भी पाएगी।